मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 1

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 1

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 1 खण्ड : एक १ “बप्पा नाव और जाल खरीदने जा रहे हैं।” “तुम्हारा भाग्य।” करुत्तम्मा से कोई जवाब देते नहीं बना। लेकिन उसने तुरन्त परिस्थिति पर काबू पा लिया। उसने कहा, “रुपये काफी नहीं हैं। क्या उधार दे सकते हो ?” हाथ धोकर दिखाते …

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तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 3

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 3

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 3 9शहर में किसी को मालूम नहीं था कि आधे ज़ापोरोजी तातारों का पीछा करने जा चुके हैं। शहर की मीनारों से संतरियों ने इतना जरूर देखा था कि कुछ गाडि़यां जंगलों की तरफ़ ले जायी गयी हैं लेकिन यह समझा गया कि कज़ाक घात में बैठने की …

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तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 2

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 2

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 2 6अन्द्रेई अपने रोटियों के बोरे लादे उस पतली-सी कच्ची सुरंग के अंदर अंधेरे में टटोल-टटोलकर तातार औरत के पीछे चलने लगा।“जल्दी ही रास्ता दिखायी देने लगेगा,”राह दिखानेवाली ने कहा। “हम उस जगह के पास आ गये हैं जहां मैं अपना चिराग छोड़ गयी थी।”और सचमुच एक मद्विम-सा …

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तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 1

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 1

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 1 1“अच्छा, ज़रा घुमो तो, बेटा! अच्छे ख़ासे चिड़ीमार लगते हो तुम भी! यह क्या पादरियों के नीचे पहनने के लबादे जैसी पोशाक पहन रखी है तुमने? क्या अकादमी में सभी लोग ऐसे ही कपड़े पहनते हैं?”इन शब्दों से बूढ़े बुल्बा ने अपने दोनों बेटों का स्वागत किया …

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तिलिस्माती मुँदरी या कश्मीर के राजा की लड़की: श्रीधर पाठक

तिलिस्माती मुँदरी या कश्मीर के राजा की लड़की: श्रीधर पाठक

Contents1 नोट2 तिलिस्माती मुँदरी : अध्याय १3 तिलिस्माती मुँदरी : अध्याय २4 तिलिस्माती मुँदरी : अध्याय ३5 तिलिस्माती मुँदरी : अध्याय ४6 तिलिस्माती मुँदरी : अध्याय ५7 तिलिस्माती मुँदरी : अध्याय ६8 तिलिस्माती मुँदरी : अध्याय ७9 तिलिस्माती मुँदरी : अध्याय ८10 तिलिस्माती मुँदरी : अध्याय ९ तिलिस्माती मुँदरी या कश्मीर के राजा की लड़की: …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 6

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 6

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 6 27 एलिस का भेजा हुआ राजा गंगाधरराव का १९ नवंबर का खरीता और उनके देहांत का समाचार मालकम के पास जैसे ही कैथा पहुँचा, उसने गवर्नर जनरल को अपनी चिट्ठी अविलंब (२५ नवंबर के दिन) भेज दी। चिट्ठी के साथ एलिस का भेजा हुआ खरीता और …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 5

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 5

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 5 21 नाटकशाला की ओर से गंगाधरराव की रूचि कम हो गई। वे महलों में अधिक रहने लगे। परंतु कचहरी-दरबार करना बंद नहीं किया। न्याय वे तत्काल करते थे- उलटा-सीधा जैसा समझ में आया, मनमाना। दंड उनके कठोर और अत्याचारपूर्ण होते थे। लेकिन स्त्रियों को कभी नहीं …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 4

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 4

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 4 17 राजा गंगाधरराव और रानी लक्ष्मीबाई का कुछ समय लगभग इसी प्रकार कटता रहा। १८५० में (माघ सुदी सप्तमी संवत्‌ १९०७) वे सजधज के साथ (कंपनी सरकार की इजाजत लेकर!) प्रयाग, काशी, गया इत्यादि की यात्रा के लिए गए। लक्ष्मीबाई साथ थीं। उनको किले में बंद …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 3

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 3

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 3 14 यथासमय मोरोपंत मनूबाई को लेकर झाँसी आ गए। तात्या टोपे भी साथ आया। विवाह का मुहूर्त शोधा जा चुका था। धूमधाम के साथ तैयारियाँ होने लगीं। नगरवाले गणेश मंदिर में सीमंती, वर-पूजा इत्यादि रीतियाँ पूरी की गईं। राजा गंगाधरराव घोड़े पर बैठकर गणेश मंदिर गए। …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 2

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 2

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 2 8 झाँसी में उस समय मंत्रशास्त्री, तंत्रशास्त्री वैद्य, रणविद् इत्यादि अनेक प्रकार के विशेषज्ञ थे । शाक्त, शैव, वाममार्गी, वैष्णव सभी काफी तादाद में । अधिकांश वैष्णव और शैव। और ऐसे लोगों की तो बहुतायत ही थी जो ‘गृहे शाक्ता: बहिर्शैवा: सभामध्ये च वैष्णवा:’ थे। इन …

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