शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

Contents1 232 243 254 265 276 28 शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4 23 अजित ने कहा – पानी थमने का तो कोई लक्षण नहीं दिखाई देता? हरेन्द्र ने कहा – नहीं। लिहाजा फिर हम दोनों को उसी टूटी छतरी में सिर से सिर भिड़ाकर समानाधिकार तत्व की सत्यता प्रमाणित करते हुए …

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शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

Contents1 172 183 194 205 216 22 शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3 17 चारों तरफ़ देखभालकर कमल सन्न रह गयी। घर की शक़्ल क्या हो रही है! सहसा किसी को विश्वास नहीं हो सकता कि यहाँ कोई आदमी भी रहता है। किसी के आने की आहट सुनाई दी और एक सत्रह-अठारह …

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शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

Contents1 112 123 134 145 156 16 शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 11 दिन का तीसरा पहर है। शीत की सीमा नहीं। आशु बाबू की बैठक की काँच की खिड़कियाँ सारे दिन बन्द रहती हैं। वे आरामकुर्सी के दोनों हत्थों पर पैर फैलाकर गहरे मनोयोग के साथ पड़े-पड़े कुछ पढ़ रहे …

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शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

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Contents1 12 23 34 45 56 67 78 89 910 10 शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 1 विभिन्न समयों में विभिन्न कार्यों से बहुत से बंगाली परिवार मुसाफिरों का झुण्ड आता-जाता रहता है – अमेरिकन टूरिस्टों (भ्रमण करने वालों) से लेकर वृन्दावन से लौटे वैष्णवों तक की भीड़ बनी ही रहती …

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गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

Contents1 (33)2 (34)3 (35)4 (36)5 (37)6 (38)7 (39)8 (40)9 (41)10 (42)11 (43)12 (44) गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4 (33) पाँच-छः दिन हुए, दो-तीन नौकर-नौकरानियों के अलावा सब कलकत्ता चले गये। एक मकान-मालिक नहीं गये। जरूरी काम के चलते, जाते-जाते वे न जा सके। इन कै दिनों तक रामचरण बाबू अपने काम में …

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गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

Contents1 (21)2 (22)3 (23)4 (24)5 (25)6 (26)7 (27)8 (28)9 (29)10 (30)11 (31)12 (32) गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3 (21) केदार बाबू की सेहत अभी पहले जैसी नहीं हो पायी थी। खा-पीकर बरामदे मे एक ईजी-चेयर पर पड़े-पड़े अखबार पढ़ते हुए, शायद जरा आँखें लग गयी थीं। दरवाजे पर खटका और गाड़ी की …

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गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

Contents1 (11)2 (12)3 (13)4 (14)5 (15)6 (16)7 (17)8 (18)9 (19)10 (20) गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 (11) साँझ के बाद सिर झुकाए जब महिम अपने डेरे की तरफ लौट रहा था, तो उसकी शक्ल देखकर किसी को कुछ कहने की मजाल न थी। उस समय उसका प्राण, पीड़ा से बाहर आने के …

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गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

Contents1 (1)2 (2)3 (3)4 (4)5 (5)6 (6)7 (7)8 (8)9 (9)10 (10) गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 (1) महिम का परम मित्रा था सुरेश। एक साथ एम. ए. पास करने के बाद सुरेश जाकर मेडिकल-कॉलेज में दाखिल हुआ; लेकिन महिम अपने पुराने सिटी-कॉलेज में ही रह गया। सुरेश ने रूठे हुए-सा कहा-महिम, मैं …

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चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 5

चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 5

Contents1 उनतालीस2 चालीस3 इकतालीस4 बयालीस5 तैंतालीस6 चौवालीस7 पैंतालीस चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 5 उनतालीस क्षय रोग से ग्रस्त पत्नी को लेकर उपेन्द्र पाँच-छः महीने तक नैनीताल में रहकर अभी कुछ दिन हुए बक्सर आये हैं। यह है सुरबाला की अन्तिम इच्छा। उस दिन, संध्या के बाद स्निग्ध दीपक के प्रकाश में बड़ी …

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चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

Contents1 उनतीस2 तीस3 इकत्तीस4 बत्तीस5 तैंतीस6 चौंतीस7 पैंतीस8 छत्तीस9 सैंतीस10 अड़तीस चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4 उनतीस भोजन करने के बाद बरामदे में दो कुर्सियों पर दोनों ही आमने-सामने बैठे थे। सरोजिनी ने कहा, “एक बात हम लोगों में से किसी के ध्यान में नहीं आयी कि भैया के मकान का पता …

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