परिणीता (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय

परिणीता (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय

परिणीता (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय 1 लक्ष्मण की छाती पर जब शक्ति-बाण लगा होगा, तो जरूर उनका चेहरा भयंकर दर्द से सिकुड़ गया होगा, लेकिन गुरुचरण का चेहरा शायद उससे भी ज्यादा विकृत और टूटा-फूटा नजर आया, जब अलस्सुबह अंतःपुर से यह खबर आई कि घर की गृहिणी ने अभी-अभी बिना किसी बाधा-विघ्न के, …

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मंझली दीदी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय

मंझली दीदी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय

मंझली दीदी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय प्रकरण – 1 किशन की मां चने-मुरमुचे भून-भूनकर और रात-दिन चिन्ता करके वहुत ही गरीबी में उसे चौदह वर्ष का करके मर गई। किशन के लिए गांव में कही खडे होने के लिए भी जगह नहीं रही। उसकी सौतेली वडी बहन कादम्बिनी की आर्थिक स्थिति अच्छी थी इसलिए …

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अनुराधा (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय

अनुराधा (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय

अनुराधा (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय प्रकरण 1 लड़की के विवाह योग्य आयु होने के सम्बन्ध में जितना भी झूठ बोला जा सकता है, उतना झूठ बोलने के बाद भी उसकी सीमा का अतिक्रमण किया जा चुका है और अब तो विवाह होने की आशा भी समाप्त हो चुकी है। ‘मैया री मैया! यह कैसी …

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देवदास (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

देवदास (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

देवदास (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 3 पिता की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे छः महीने बीत गये। देवदास घर में एकदम ऊब गये। सुख नही, शान्ति नही, उस पर एक ही तरह की जीवनचर्या से मन बिल्कुल विरक्त हो चला। तिस पर पार्वती की चिन्ता से चित और भी अव्यवस्थित हो रहा था; …

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देवदास (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

देवदास (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

देवदास (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 1 एक दिन बैसाख के दोपहर मे जबकि चिलचिलाती हुई कड़ी धूप पड़ रही थी और गर्मी की सीमा नही थी, ठीक उसी समय मुखोपाध्याय का देवदास पाठशाला केएक कमरे के कोने मे स्लेट लिये हुए पांव फैलाकर बैठा था। सहसा वह अंगड़ाई लेता हुआ अत्यंत चिंताकुल …

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श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 10

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 10

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 10 अध्याय 19 दूसरे दिन मेरी अनिच्छा के कारण जाना न हुआ किन्तु उसके अगले दिन किसी प्रकार भी न अटका सका और मुरारीपुर के अखाड़े के लिए रवाना होना पड़ा। जिसके बिना एक कदम भी चलना मुश्किल है वह राजलक्ष्मी का वाहन रतन तो साथ चला ही, …

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श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 9

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 9

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 9 अध्याय 17 वैष्णवी ने आज मुझसे बार-बार शपथ करा ली कि उसका पूर्व विवरण सुनकर मैं घृणा नहीं करूँगा। “सुनना मैं चाहता नहीं, पर अगर सुनूँ तो घृणा न करूँगा।” वैष्णवी ने सवाल किया, “पर क्यों नहीं करोगे? सुनकर औरत-मर्द सब ही तो घृणा करते हैं।” “मैं …

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श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 8

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 8

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 8 अध्याय 15 अब तक का मेरा जीवन एक उपग्रह की तरह ही बीता, जिसको केन्द्र बनाकर घूमता रहा हूँ उसके निकट तक न तो मिला पहुँचने का अधिकार और न मिली दूर जाने की अनुमति। अधीन नहीं हूँ, लेकिन अपने को स्वाधीन कहने की शक्ति भी मुझमें …

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श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 7

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 7

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 7 अध्याय 13 मनुष्य की परलोक की चिन्ता में शायद पराई चिन्ता के लिए कोई स्थान नहीं। नहीं तो, मेरे खाने-पहरने की चिन्ता राजलक्ष्मी छोड़ बैठी, इतना बड़ा आश्चर्य संसार में और क्या हो सकता है? इस गंगामाटी में आए ही कितने दिन हुए होंगे, इन्हीं कुछ दिनों …

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श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 6

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 6

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 6 अध्याय 11 साधुजी खुशी से चले गये। उनकी विहार-व्यथा ने रतन को कैसा सताया, यह उससे नहीं पूछा गया, सम्भवत: वह ऐसी कुछ सांघातिक न होगी। और एक व्यक्ति को मैंने रोते-रोते कमरे में घुसते देखा; अब तीसरा व्यक्ति रह गया मैं। उस आदमी के साथ पूरे …

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