ये समझते हैं, खिले हैं तो फिर बिखरना है -अदम गोंडवी

ये समझते हैं, खिले हैं तो फिर बिखरना है  -अदम गोंडवी

ये समझते हैं, खिले हैं तो फिर बिखरना है । पर अपने ख़ून से गुलशन में रंग भरना है । उससे मिलने को कई मोड़ से गुज़रना है । अभी तो आग के दरिया में भी उतरना है । जिसके आने से बदल जाए ज़माने का निज़ाम, ऐसे इंसान को इस ख़ाक से उभरना है …

Read more

‘अदम’ सुकून में जब कायनात होती है -अदम गोंडवी

‘अदम’ सुकून में जब कायनात होती है  -अदम गोंडवी

‘अदम’ सुकून में जब कायनात होती है । कभी-कभार मेरी उससे बात होती है । कहीं हो ज़िक्र अक़ीदत से सर झुका देना, बड़ी अज़ीम ये औरत की ज़ात होती है । उफ़ुक पे खींच दे पर्दा, चराग़ जल जाए, हम अगर सोच लें तो दिन में रात होती है । नवीन जंग छिड़ी है …

Read more

-टी०वी० से अख़बार तक ग़र सेक्स की बौछार हो -अदम गोंडवी

-टी०वी० से अख़बार तक ग़र सेक्स की बौछार हो -अदम गोंडवी

टी०वी० से अख़बार तक ग़र सेक्स की बौछार हो । फिर बताओ कैसे अपनी सोच का विस्तार हो । बह गए कितने सिकन्दर वक़्त के सैलाब में, अक़्ल इस कच्चे घड़े से कैसे दरिया पार हो । सभ्यता ने मौत से डर कर उठाए हैं क़दम, ताज की कारीगरी या चीन की दीवार हो । …

Read more

ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी- अदम गोंडवी

ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी- अदम गोंडवी

ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी- अदम गोंडवी ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी । फिर कहाँ से बीच में मस्जिद औ’ मंदर आ गए । जिनके चेह्रे पर लिखी थी जेल की ऊँची फ़सील, रामनामी ओढ़कर संसद के अन्दर आ गए । देखना, सुनना व सच कहना इन्हें भाता नहीं, कुर्सियों पर …

Read more

हीरामन बेज़ार है उफ़्! किस कदर महँगाई से- अदम गोंडवी

हीरामन बेज़ार है उफ़्! किस कदर महँगाई से- अदम गोंडवी

हीरामन बेज़ार है उफ़्! किस कदर महँगाई से । आपकी दिल्ली में उत्तर-आधुनिकता आई है । टी० वी० से अख़बार तक हैं, जिस्म के मोहक कटाव, ये हमारी सोच है, ये सोच की गहराई है । सबका मालिक एक है, रटते भी हैं, लड़ते भी हैं, सदियों के संघर्ष से क्या दृष्टि हमने पाई है …

Read more

ये दुखड़ा रो रहे थे आज पंडित जी शिवाले में- अदम गोंडवी

ये दुखड़ा रो रहे थे आज पंडित जी शिवाले में- अदम गोंडवी

ये दुखड़ा रो रहे थे आज पंडित जी शिवाले में । कि कम्प्यूटर कथा बाँचेगा ढिबरी के उजाले में । विदेशी पूंजी मंत्री जी की अय्याशी में गलती है, ज़ह्र कर्ज़े का घुल जाता है मुफ़्लिस के निवाले में । सदन की बढ़ गई गरिमा ‘छदामी लाल’ क्या आए, इमरजेन्सी में बंदी थे ये चीनी …

Read more

जिसके सम्मोहन में पाग़ल, धरती है, आकाश भी है- अदम गोंडवी

जिसके सम्मोहन में पाग़ल, धरती है, आकाश भी है- अदम गोंडवी

जिसके सम्मोहन में पाग़ल, धरती है, आकाश भी है । एक पहेली-सी ये दुनिया, गल्प भी है, इतिहास भी है। चिन्तन के सोपान पर चढ़कर चाँद-सितारे छू आए, लेकिन मन की गहराई में माटी की बू-बास भी है । मानव-मन के द्वन्द्व को आख़िर किस साँचे में ढालोगे, महारास की पृष्ठभूमि में ‘ओशो’ का संन्यास …

Read more

विकट बाढ़ की करुण कहानी नदियों का संन्‍यास लिखा है- अदम गोंडवी

विकट बाढ़ की करुण कहानी नदियों का संन्‍यास लिखा है- अदम गोंडवी

विकट बाढ़ की करुण कहानी नदियों का संन्‍यास लिखा है बूढ़े बरगद के वल्‍कल पर सदियों का इतिहास लिखा है क्रूर नियति ने इसकी किस्‍मत से कैसा खिलवाड़ किया है मन के पृष्‍ठों पर शाकुंतल अधरों पर संत्रास लिखा है छाया मदिर महकती रहती गोया तुलसी की चौपाई लेकिन स्‍वप्निल स्‍मृतियों में सीता का वनवास …

Read more

ये महाभारत है जिसके पात्र सारे आ गए- अदम गोंडवी

ये महाभारत है जिसके पात्र सारे आ गए- अदम गोंडवी

ये महाभारत है जिसके पात्र सारे आ गए । योगगुरू भागे तो फिर अन्ना हजारे आ गए । ठाकरे जो भी कहे वो बालीबुड दोहराएगा, इसलिए पण्डाल में फ़िल्मी सितारे आ गए । बाबा के चरणों में है खाता विदेशी बैंक का, कैसे-कैसे भक्तगण जमुना किनारे आ गए । आडवाणी, गडकरी आए तो पर्दा उठ …

Read more

मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे- अदम गोंडवी

मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे अदम गोंडवी

मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे अदम गोंडवी मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे । हम अपने इस कालखण्ड का एक नया इतिहास लिखेंगे । सदियों से जो रहे उपेक्षित श्रीमन्तों के हरम सजाकर, उन दलितों की करुण कहानी मुद्रा से रैदास लिखेंगे । प्रेमचन्द की रचनाओं को एक सिरे से …

Read more