रोते रोते रात सो गई- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

रोते रोते रात सो गई

झुकी न अलकें
झपी न पलकें
सुधियों की बारात खो गई
रोते रोते रात सो गई

दर्द पुराना
मीत न जाना
बातों ही में प्रात हो गई
रोते रोते रात सो गई

घुमड़ी बदली
बूंद न निकली
बिछुड़न ऐसी व्यथा बो गई
रोते रोते रात सो गई

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