कायाकल्प (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 3
कायाकल्प (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 3 कायाकल्प : अध्याय दस मुंशी वज्रधर विशालसिंह के पास से लौटे, तो उनकी तारीफों के पुल बांध दिए। रईस हो तो ऐसा हो। आंखों में कितना शील है ! किसी तरह छोड़ते ही न थे। यों समझो कि लड़कर आया हूँ। प्रजा पर तो जान देते हैं। बेगार …