वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे
वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे
दरअसल मुंशी जी अपने दौर के मंसूर थे
अपने अफसानों में औसत आदमी को दी जगह
जब अलिफलैला के किस्से ही यहाँ मशहूर थे
वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे
वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे
दरअसल मुंशी जी अपने दौर के मंसूर थे
अपने अफसानों में औसत आदमी को दी जगह
जब अलिफलैला के किस्से ही यहाँ मशहूर थे