महापर्व शिवरात्रि – अनिता सुधीर आख्या

महापर्व शिवरात्रि – अनिता सुधीर आख्या

महापर्व शिवरात्रि में,मिलन शक्ति-अध्यात्म का।
कृष्ण चतुर्दश फाल्गुनी, प्रकृति-पुरुष एकात्म का।।

पंच तत्त्व का संतुलन,यह शिवत्व आधार है।
वैरागी को साधना, ही जीवन का सार है।।

प्रकटोसव शिवरात्रि में, ऊर्जा का संचार है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग में, निराकार साकार है।।

शिव गौरा के ब्याह की, आज मनोरम रात में।
आराधन में लीन हो, भीगें भक्ति-प्रपात में।।

सृष्टि रचयिता रुद्र का, तीन लोक अधिपत्य है।
महाकाल हैं काल के, शिवं सुंदरं सत्य है।।

औगढ़ योगीराज का, आदि अंत अज्ञात है।
तांडव नृत्य त्रिनेत्र का, सकल अर्थ विख्यात है।।

आत्मजागरण पर्व की, महिमा अपरंपार है।
नीलकंठ के अर्थ में, जगत श्रेष्ठ व्यवहार है।।

शंकर-गौरा साथ में, और भाव वैराग्य भी।
गुण विरोध में संतुलन, यही मनुज सौभाग्य भी।।

नाड़ी तीन प्रतीक हैं, शंकर हस्त त्रिशूल के।
दैहिक भौतिक ताप हर, निष्कंटक जग मूल में।।

राख चिता की गात जो,भस्म जीव का साथ है।
भाव शुद्धता का लिए, बाबा भोलेनाथ हैं।।

बिल्वपत्र अक्षत चढ़ा,करिए व्रत उपवास सब।
कैलाशी को पूज कर, जीवन करें प्रभास सब।।

 

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