अंधेरा कब जाएगा- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

अंधेरा कब जाएगा

दर्द कमर का तेज,
रात भर लगीं न पलकें,
सहलाते रहे बस,
एमरजैंसी की अलकें,
नर्स नींद में चूर,
ऊंघते रहे सभी सिपाही,
कंठ सूखता, पर
उठने की सख़्त मनाही,
कह कैदी कविराय,
सवेरा कब आएगा,
दम घुटने लग गया,
अंधेरा कब जाएगा।

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