चंद्रकांता (उपन्यास) तीसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) तीसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) तीसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 वह नाजुक औरत जिसके हाथ में किताब है और जो सब औरतों के आगे-आगे आ रही है, कौन और कहाँ की रहने वाली है, जब तक यह न मालूम हो जाए तब तक हम उसको वनकन्या के नाम से लिखेंगे। धीरे-धीरे चल कर वनकन्या जब …

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चंद्रकांता (उपन्यास) दूसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) दूसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) दूसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 इस आदमी को सभी ने देखा मगर हैरान थे कि यह कौन है, कैसे आया और क्या कह गया। तेजसिंह ने जोर से पुकार के कहा – ‘आप लोग चुप रहें, मुझको मालूम हो गया कि यह सब ऐयारी हुई है, असल में कुमारी और …

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चंद्रकांता (उपन्यास) पहला अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) पहला अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) पहला अध्याय : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 शाम का वक्त है, कुछ-कुछ सूरज दिखाई दे रहा है, सुनसान मैदान में एक पहाड़ी के नीचे दो शख्स वीरेंद्रसिंह और तेजसिंह एक पत्थर की चट्टान पर बैठ कर आपस में बातें कर रहे हैं। वीरेंद्रसिंह की उम्र इक्कीस या बाईस वर्ष की होगी। यह …

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चंद्रकांता संतति (उपन्यास) खंड 1 – पहला भाग : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता संतति (उपन्यास) खंड 1 – पहला भाग : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता संतति (उपन्यास) खंड 1 – पहला भाग : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 नौगढ़ के राजा सुरेंद्रसिंह के लड़के वीरेंद्रसिंह की शादी विजयगढ़ के महाराज जयसिंह की लड़की चंद्रकांता के साथ हो गई। बारात वाले दिन तेजसिंह की आखिरी दिल्लगी के सबब चुनार के महाराज शिवदत्त को मशालची बनना पड़ा। बहुतों की यह राय हुई …

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भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री (तीसरा भाग)

भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री (तीसरा भाग)

भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री (तीसरा भाग) तीसरा भाग : पहिला बयान काशी शहर के बाहर उत्तर तरफ लाट भैरव का एक प्रसिद्ध स्थान है, पास ही में एक पक्का तालाब है और स्थान के इर्द-गिर्द कई पक्के कुएँ भी हैं वहीं पक्का तालाब कपालमोचन तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है, काशी में …

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भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री (दूसरा भाग)

भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री  part 2

भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री part 2 दूसरा भाग : पहिला बयान रात बहुत कम बाकी थी जब बिमला और इन्दु लौट कर घर में आईं जहाँ कला को अकेली छोड़ गई थीं। यहाँ आते ही बिमला ने देखा कि उनकी प्यारी लौंडी चन्दो जमीन पर पड़ी मौत का इन्तजार कर रही है, …

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भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री

भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री

भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री पहिला भाग : पहिला बयान मेरे पिता ने तो मेरा नाम गदाधरसिंह रक्खा था और बहुत दिनों तक मैं इसी नाम से प्रसिद्ध भी था परन्तु समय पड़ने पर मैंने अपना नाम भूतनाथ रख लिया था और इस समय यही नाम बहुत प्रसिद्ध हो रहा है। आज मैं …

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कुसुम कुमारी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 3

कुसुम कुमारी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 3

कुसुम कुमारी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 3 सत्ताईसवां बयान थोड़ी ही दूर जाने पर रनबीरसिंह को मालूम हो गया कि वे सब लोग भी उसी तरफ जा रहे हैं जिधर बालेसिंह गया है या जिधर से जानेवाले थे। यद्यपि रात का समय था मगर आगे-आगे मशाल की रोशनी रहने के कारण रनबीरसिंह ने उन …

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कुसुम कुमारी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 2

कुसुम कुमारी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 2

कुसुम कुमारी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 2 सोलहवां बयान कालिंदी को पाकर जसवंत बहुत खुश हुआ। सबसे ज्यादे खुशी तो उसे इस बात की हुई कि उसने सोचा कि कालिंदी की सलाह और तरकीब से इस किले को फतह करके कुसुम कुमारी और रनबीर दोनों से समझूंगा। कालिंदी को अपने खेमे में छोड़ पहरेवालों …

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कुसुम कुमारी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 1

कुसुम कुमारी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 1

कुसुम कुमारी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 1 पहला बयान ठीक दोपहर का वक्त और गर्मी का दिन है। सूर्य अपनी पूरी किरणों का मजा दिखा रहे हैं। सुनसान मैदान में दो आदमी खूबसूरत और तेज घोड़ों पर सवार साये की तलाश और ठंडी जगह की खोज में इधर-उधर देखते घोड़ा फेंके चले जा रहे …

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