चंद्रकांता (उपन्यास) तीसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री
चंद्रकांता (उपन्यास) तीसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 वह नाजुक औरत जिसके हाथ में किताब है और जो सब औरतों के आगे-आगे आ रही है, कौन और कहाँ की रहने वाली है, जब तक यह न मालूम हो जाए तब तक हम उसको वनकन्या के नाम से लिखेंगे। धीरे-धीरे चल कर वनकन्या जब …