श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 5

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 5

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 5 अध्याय 9 कलकत्ते के घाट पर जहाज जा भिड़ा देखा, जेटी के ऊपर बंकू खड़ा है। वह सीढ़ी से चटपट ऊपर चढ़ आया और जमीन पर सिर टेक प्रणाम करके बोला, “माँ रास्ते पर गाड़ी में राह देख रही हैं। आप नीचे जाइए, मैं सामान लेकर पीछे …

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श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4 अध्याय 7 रास्ते में जिन लोगों के सुख-दु:ख में हिस्सा बँटाता हुआ मैं इस परदेश में आकर उपस्थित हुआ था, घटना-चक्र से वे तो रह गये शहर के एक छोर पर और मुझे आश्रय मिला शहर के दूसरे छोर पर। इसलिए, इन पन्द्रह-सोलह दिनों के बीच उस …

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श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3 अध्याय 5 इस अभागे जीवन के जिस अध्याय को, उस दिन राजलक्ष्मी के निकट अन्तिम बिदा के समय आँखों के जल में समाप्त करके आया था- यह खयाल ही नहीं किया था कि उसके छिन्न सूत्र पुन: जोड़ने के लिए मेरी पुकार होगी। परन्तु पुकार जब सचमुच …

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श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 अध्याय 3 आज मैं अकेला जाकर मोदी के यहाँ खड़ा हो गया। परिचय पाकर मोदी ने एक छोटा-सा पुराना चिथड़ा बाहर निकाला और गाँठ खोलकर उसमें से दो सोने की बालियाँ और पाँच रुपये निकाले। उन्हें मेरे हाथ में देकर वह बोला, “बहू ये दो बालियाँ मुझे …

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श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

श्रीकान्त (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 अध्याय 1 मेरी सारी जिन्दगी घूमने में ही बीती है। इस घुमक्कड़ जीवन के तीसरे पहर में खड़े होकर, उसके एक अध्यापक को सुनाते हुए, आज मुझे न जाने कितनी बातें याद आ रही हैं। यों घूमते-फिरते ही तो मैं बच्चे से बूढ़ा हुआ हूँ। अपने-पराए सभी …

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देहाती समाज (बांग्ला उपन्यास): शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

देहाती समाज (बांग्ला उपन्यास): शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

देहाती समाज (बांग्ला उपन्यास): शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 अध्याय 11 दो दिनों से बराबर पानी बरस रहा था, आज कहीं जा कर थोड़े बादल फटे। चंडी मंडप में गोपाल सरकार और रमेश दोनों बैठे जमींदारी का हिसाब-किताब देख रहे थे कि सहसा करीब बीस किसान रोते-बिलखते आ कर बोले – ‘छोटे बाबू, हमारी जान बचा …

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देहाती समाज (बांग्ला उपन्यास): शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

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देहाती समाज (बांग्ला उपन्यास): शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 अध्याय 1 बाबू वेणी घोषाल ने मुखर्जी बाबू के घर में पैर रखा ही था कि उन्हें एक स्त्री दीख पड़ी, पूजा में निमग्न। उसकी आयु थी, यही आधी के करीब। वेणी बाबू ने उन्हें देखते ही विस्मय से कहा, ‘मौसी, आप हैं! और रमा किधर है?’ …

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आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 4

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 4

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 4 सोलह : आग और धुआं भारत के हृदय में अवध स्थित है। भारत में अंग्रेजों के आगमन के समय भी इस भूमि में अनेक उपयोगी आकर्षण थे। इस भूमि को देखकर अंग्रेजों ने इसे विपुल जलभूमि, ऊँचे-ऊँचे बाँस के जंगलों से लहराते हुए शोभायमान दृश्य, …

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आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3 नौ : आग और धुआं ई० १७५४ में इंगलैण्ड और फ्रांस में राजनैतिक स्थितियाँ विभिन्न थीं। जबकि इंगलैण्ड सम्पूर्ण रूप से भारत की ओर समय-समय पर उचित सहायता भेजता रहा, तब फ्रांस अपने आन्तरिक झगड़ों में फंसा रहा। इंगलैण्ड के राज्य-परिवार में कभी पारिवारिक झगड़े …

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आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1 चार : आग और धुआं मीरजाफर नवाब हुआ और धूर्त स्क्वेफन उसका एजेण्ट बनकर दरबार में विराजा। वारेन हेस्टिग्स उसका सहायक बनाया गया। कुछ दिन बाद जब स्क्वेफन कौंसिल में सभ्य नियत हुआ-तब, उक्त गौरव का पद वारेन हेस्टिग्स को मिला। यह पद बड़ी जिम्मेदारी …

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