रंगभूमि अध्याय 2 : मुंशी प्रेमचंद

रंगभूमि रंगभूमि अध्याय 2 : मुंशी प्रेमचंद

रंगभूमि अध्याय 2 सूरदास लाठी टेकता हुआ धीरे-धीरे घर चला। रास्ते में चलते-चलते सोचने लगा-यह है बड़े आदमियों की स्वार्थपरता! पहले कैसे हेकड़ी दिखाते थे, मुझे कुत्तो से भी नीचा समझा; लेकिन ज्यों ही मालूम हुआ कि जमीन मेरी है, कैसी लल्लो-चप्पो करने लगे। इन्हें मैं अपनी जमीन दिए देता हूँ। पाँच रुपये दिखाते थे, …

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उपन्यास के विषय (हिन्दी निबंध) : मुंशी प्रेमचंद

उपन्यास के विषय (हिन्दी निबंध) : मुंशी प्रेमचंद

उपन्यास का क्षेत्र, अपने विषय के लिहाज़ से दूसरी ललित कलाओं से कहीं ज्यादा विस्तृत है। ‘वाल्टर बेसेंट’ ने इस विषय पर इन शब्दों में विचार प्रकट किए हैं :- “उपन्यास के विषय का विस्तार मानव-चरित्र से किसी कदर कम नहीं है। उसका संबंध अपने चरित्रों के कर्म और विचार, उनके देवत्व और पशुत्व, उनके …

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