बूढ़ा देश बूढ़ा देश- अनन्त मिश्र
बच कर निकल गई
हाथ आई जिंदगी
मछली जैसे पकड़ में आई-आई
फिसल गई।
चुप चाप मृत्यु की प्रतीक्षा में
बैठा बूढ़ा आदमी
कब तक नाती-पोतों का मुँह देखता रहेगा
दवाई और रोग
पेट की कमजोरी
हड्डियों का कड़कड़ापन
और अतीत का बोझ
वर्तमान में रहने नहीं देता।
मेरा देश एक पुराना देश है
जिसकी आँखों में चमक
कभी-कभी आती है।