बज़ाहिर प्यार को दुनिया में जो नाकाम होता है
बज़ाहिर प्यार को दुनिया में जो नाकाम होता है।
कोई रूसॊ कोई हिटलर, कोई ख़ैयाम होता है ।
ज़हर देते हैं उसको हम कि ले जाते हैं सूली पर,
यही इस दौर के मंसूर का अंजाम होता है।
जुनूने-शौक़ में बेशक लिपटने को लिपट जाएँ,
हवाओं में कहीं महबूब का पैग़ाम होता है ।
सियासी बज़्म मेम अक्सर ‘ज़ुलेख़ा’ के इशारों पर,
हक़ीक़त ये है ‘युसूफ़’ आज भी नीलाम होता है।