घर में दासी – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

घर में दासी

बनने चली विश्व भाषा जो,
अपने घर में दासी;
सिंहासन पर अंगरेज़ी है,
लखकर दुनिया हाँसी;
लखकर दुनिया हाँसी,
हिन्दीदां बनते चपरासी;
अफसर सारे अंगरेज़ीमय,
अवधी हों, मद्रासी;
कह कैदी कविराय,
विश्व की चिन्ता छोड़ो;
पहले घर में
अंगरेज़ी के गढ़ को तोड़ो!

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