मां-हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

मां-हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

मां बच्चों को सदा बचाती,
दुविधा-दिक्कत, कोप-कहर से ।
बुरी नजर ‘छू-मंतर’ होती,
मां की ममता भरी नजर से।।

बच्चों की खुशियों की खातिर,
मां ने मन्नत मान रखी है।
मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे से,
और साथ में गिरजाघर से ।।

रोजगार के लिए सुबह जब,
शहर चले जाते हैं बच्चे ।
मां तक तक पथ तकती रहती,
जब तक लौटें नहीं शहर से ।।

घर में मां है इसका मतलब,
दया का दरिया है घर में ।
सदा स्नेह के मोती मिलते,
इस दरिया की लहर-लहर से ।।

जिसके साथ दुआ है मां की,
उसको मंजिलमिल जाती है।
चाहे समतल राह से गुजरे,
चाहे गुजरे कठिन डगर से।।

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