नभ – अनिता सुधीर आख्या

नभ – अनिता सुधीर आख्या

टिमटिम करते कितने तारे।
नभ में रहते मिल कर सारे।।

दूर बहुत ये हमसे कितने!
प्यारे सबको लगते इतने।।

जब बादल सारे छँट जाते
चंदा सँग फिर तारे आते।।

भोर हुई तब तारे भागे।
सूरज चमके नभ में आगे।।

तारे दिन में खो जाते क्या।
दूर गगन में सो जाते या।।

सूरज एक बड़ा तारा है।
उससे जग में उजियारा है।।

पौधों को सूरज भाता है।
तब आहार बना पाता है।।

निशि दिन खेल चला करता है।
सबका नित्य भला करता है।।

पृथ्वी से नभ दिखता सुंदर।
हाथ बढ़ा कर छू लो अंबर।।

 

Leave a Comment