नदी (उल्लाला छंद)- अनिता सुधीर आख्या

नदी (उल्लाला छंद)- अनिता सुधीर आख्या

भूतल पर जलधार का,स्त्रोत झील हिमनद रहे।
सरिता तटिनी शैलजा,नदी नद्य इसको कहे।।

नदियाँ जीवन दायिनी,जल जीवन आधार है।
मातु सरिस सब पूजते,ये संस्कृति का सार है।।

कहीं जन्म ले बह चली,नीर जलधि में भर रही।
विकसित होती सभ्यता,लालन पालन कर रही।।I

रूप सदानीरा रहे,या बरसाती रूप हो।
अविरल अविरामी चलें,भरा धरा का कूप हो।।

 

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