बेचैनी की रात- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

बेचैनी की रात- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

बेचैनी की रात बेचैनी की रात, प्रात भी नहीं सुहाता; घिरी घटा घनघोर, न कोई पंछी गाता; तन भारी, मन खिन्न, जागता दर्द पुराना; सब अपने में मस्त, पराया कष्ट न जाना; कह कैदी कविराय, बुरे दिन आने वाले; रह लेंगे जैसा, रखेगा ऊपर वाले!

मंत्रिपद तभी सफल है- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

मंत्रिपद तभी सफल है- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

मंत्रिपद तभी सफल है बस का परमिट मांग रहे हैं, भैया के दामाद; पेट्रोल का पंप दिला दो, दूजे की फरियाद; दूजे की फरियाद, सिफारिश काम बनाती; परिचय की परची, किस्मत के द्वार खुलाती; कह कैदी कविराय, भतीजावाद प्रबल है; अपनों को रेवड़ी, मंत्रिपद तभी सफल है!

कार्ड महिमा – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

कार्ड महिमा – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

कार्ड महिमा पोस्ट कार्ड में गुण बहुत, सदा डालिए कार्ड; कीमत कम, सेंसर सरल, वक्त बड़ा है हार्ड; वक्त बड़ा है हार्ड, सम्हल कर चलना भैया; बड़े-बड़ों की फूंक सरकती, देख सिपहिया; कह कैदी कविराय, कार्ड की महिमा पूरी; राशन, शासन, शादी- व्याधी, कार्ड जरूरी.

घर में दासी – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

घर में दासी – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

घर में दासी बनने चली विश्व भाषा जो, अपने घर में दासी; सिंहासन पर अंगरेज़ी है, लखकर दुनिया हाँसी; लखकर दुनिया हाँसी, हिन्दीदां बनते चपरासी; अफसर सारे अंगरेज़ीमय, अवधी हों, मद्रासी; कह कैदी कविराय, विश्व की चिन्ता छोड़ो; पहले घर में अंगरेज़ी के गढ़ को तोड़ो!

गूंजी हिन्दी विश्व में – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

गूंजी हिन्दी विश्व में – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

गूंजी हिन्दी विश्व में गूंजी हिन्दी विश्व में, स्वप्न हुआ साकार; राष्ट्र संघ के मंच से, हिन्दी का जयकार; हिन्दी का जयकार, हिन्दी हिन्दी में बोला; देख स्वभाषा-प्रेम, विश्व अचरज से डोला; कह कैदी कविराय, मेम की माया टूटी; भारत माता धन्य, स्नेह की सरिता फूटी!

सूखती रजनीगन्धा – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

सूखती रजनीगन्धा  – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

सूखती रजनीगन्धा कहु सजनी ! रजनी कहाँ ? अँधियारे में चूर; एक बरस में ढर गया, चेहरे पर से नूर; चेहरे पर से नूर; दूर दिल्ली दिखती है; नियति निगोड़ी कभी कथा उलटी लिखती है; कह कैदी कविराय, सूखती रजनीगन्धा; राजनीति का पड़ता है, जब उलटा फन्दा।

 नहीं पुलिस का पीछा छूटा – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

 नहीं पुलिस का पीछा छूटा  – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

 नहीं पुलिस का पीछा छूटा घर पहुंचे हम बाद में, पहले पुलिस तैयार; रोम-रोम गद्गद हुआ, लखि सवागत-सत्कार; लखि स्वागत-सत्कार, पराये अपने घर में; कुत्ते का भी नाम लिख लिया रजिस्टर में; कह कैदी कविराय, शास्त्री कसें लंगोटा; जनसंघ छूटा, नहीं पुलिस का पीछा छूटा।

अंधेरा कब जाएगा- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

अंधेरा कब जाएगा- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

अंधेरा कब जाएगा दर्द कमर का तेज, रात भर लगीं न पलकें, सहलाते रहे बस, एमरजैंसी की अलकें, नर्स नींद में चूर, ऊंघते रहे सभी सिपाही, कंठ सूखता, पर उठने की सख़्त मनाही, कह कैदी कविराय, सवेरा कब आएगा, दम घुटने लग गया, अंधेरा कब जाएगा।

जेल की सुविधाएँ- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

जेल की सुविधाएँ-  कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

जेल की सुविधाएँ डाक्टरान दे रहे दवाई, पुलिस दे रही पहरा; बिना ब्लेड के हुआ खुरदरा, चिकना-चुपड़ा चेहरा; चिकना-चुपड़ा चेहरा, साबुन, तेल नदारत; मिले नहीं अखबार, पढ़ेंगे नई इबारत; कह कैदी कविराय, कहां से लाएँ कपड़े; अस्पताल की चादर, छुपा रही सब लफड़े।

अनुशासन पर्व- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

अनुशासन पर्व-  कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

अनुशासन पर्व अनुशासन का पर्व है, बाबा का उपदेश; हवालात की हवा भी देती यह सन्देश: देती यह सन्देश, राज डण्डे से चलता; जब हज करने जाएँ, रोज़, कानून बदलता; कह कैदी कविराय, शोर है अनुशासन का; लेकिन ज़ोर दिखाई देता दु:शासन का।