बजेगी रण की भेरी- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

बजेगी रण की भेरी- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

बजेगी रण की भेरी दिल्ली के दरबार में, कौरव का है ज़ोर; लोक्तंत्र की द्रौपदी, रोती नयन निचोर; रोती नयन निचोर नहीं कोई रखवाला; नए भीष्म, द्रोणों ने मुख पर ताला डाला; कह कैदी कविराय, बजेगी रण की भेरी; कोटि-कोटि जनता न रहेगी बनकर चेरी।

 पाप का घड़ा भरा है- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

 पाप का घड़ा भरा है- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

 पाप का घड़ा भरा है जन्म जहाँ श्रीकृष्ण का, वहां मिला है ठौर; पहरा आठों याम का, जुल्म-सितम का दौर; जुल्म-सितम का दौर; पाप का घड़ा भरा है; अत्याचारी यहां कंस की मौत मरा है; कह कैदी कविराय, धर्म ग़ारत होता है; भारत में तब सदा, महाभारत होता है।

 धरे गए बंगलौर में- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

 धरे गए बंगलौर में- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

 धरे गए बंगलौर में धरे गए बंगलौर में, अडवानी के संग; दिन-भर थाने में रहे, हो गई हुलिया तंग; हो गई हुलिया तंग, श्याम बाबू भन्नाए; ‘प्रात: पकड़े गए, न अब तक जेल पठाए ?’ कह कैदी कविराय, पुराने मंत्री ठहरे; हम तट पर ही रहे, मिश्र जी उतरे गहरे।

अस्पताल की याद रहेगी- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

अस्पताल की याद रहेगी- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

अस्पताल की याद रहेगी योग, प्रयोग, नियोग की चर्चा सुनी अपार; रोग सदा पल्ले पड़ा, खुला जेल का द्वार; खुला जेल का द्वार, किया ऐसा शीर्षासन; दुनिया उलटी हुई, डोल उट्ठा सिंहासन; कह कैदी कविराय, मुफ्त की मालिश महंगी; बंगलौर के अस्पताल की याद रहेगी।

विश्व हिन्दी सम्मेलन – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

विश्व हिन्दी सम्मेलन – कैदी कविराय की कुण्डलियाँ  (हिन्दी कविता) : अटल बिहारी वाजपेयी

विश्व हिन्दी सम्मेलन पोर्ट लुई के घाट पर, नवपंडों की भीर; रोली, अक्षत, नारियल, सुरसरिता का नीर; सुरसरिता का नीर, लगा चन्दन का घिस्सा; भैया जी ने औरों का भी हड़पा, हिस्सा; कह कैदी कविराय, जयतु जय शिवसागर जी; जय भगवती जागरण, निरावरण जय नागर जी ।

रक्षाबंधन- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

रक्षाबंधन- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

रक्षाबंधन रक्षाबंधन ज्यों काव्य सरल भाई -बहनें ज्यों गीत- गजल रक्षा बंधन है एक नदी बहनें लहरें हैं, भाई जल रक्षाबंधन खुशियों की खनक बहनें रौनक, भाई संबल रक्षा बंधन सुख का मौसम बहनें बारिश, भाई बादल रक्षाबंधन आँखों की तरह बहनें दृष्टी, भाई काजल

 देश का गौरव मध्यप्रदेश- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 देश का गौरव मध्यप्रदेश- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 देश का गौरव मध्यप्रदेश महाकाल की महिमा पावन उज्जैनी शिप्रा मनभावन कालिदास का कविता-कानन सांदीपनि का शिक्षण- आसन कृष्ण की कथा कहे परिवेश देश का गौरव मध्यप्रदेश। नदी नर्मदा,शिवना, चंबल परशुराम का परशु, कमंडल शुभ्र सतपुड़ा के सब जंगल हरियाली ज्यों मॉ का ऑचल विंध्याचल यानी उन्मेष, देश का गौरव मध्यप्रदेश। है भोपाल, ताल की …

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 घर-आंगन में दीप जलाकर- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 घर-आंगन में दीप जलाकर- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 घर-आंगन में दीप जलाकर घर-आंगन में दीप जलाकर, रचती है रांगोली बिटिया। शुभ-मंगल की ‘मौली’ बिटिया, हल्दी-कुमकुम – रौली बिटिया । ईद, दीवाली, क्रिसमस जैसी, हंसी-खुशी की झोली बिटिया । सखी सहेली से घुल-मिलकर, करती ऑख-मिचौली बिटिया घर – आंगन में दीप जलाकर, रचती है रांगोली बिटिया । मन ही मन बांते करती है, सीधी-सादी …

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नदी – जंगल बचे रहेंगे तो – हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

नदी – जंगल बचे रहेंगे तो – हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

नदी – जंगल बचे रहेंगे तो न तो काटें, न कटने दें जंगल, तब ही दुनिया को मिल सकेगा जल। जंगलो का हरा – भरा रहना, जैसे धरती पे नीर के बादल। वन की ‘हरियाली’ से ही तो नदियां अपनी आंखों में आंजती ‘काजल’, बहती नदिया धरा की धड़कन है यानी धरती का दिल सघन …

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 नये वर्ष की नई सुबह – हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 नये वर्ष की नई सुबह – हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 नये वर्ष की नई सुबह जीभ, मधुर फुलवारी रख । कोमलता की क्यारी रख । नये वर्ष की नई सुबह शुभता की तैयारी रख । सुख का साधक बन लेकिन दुखियों से भी यारी रख । मातृ -भूमि के चरणों में तन, मन, पूंजी सारी रख । वन है धरती की गर्दन गर्दन पर मत …

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