बाप- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

बाप- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

बाप पर्वत – शिखर – सा बाप, है सिंधु सा गहन भी, रिश्तों को निभाता है, निभाता है वचन भी। झिड़की भी,नसीहत भी, मृदुल-मीठी डांट भी, बच्चों के लिए बाप दुआओं का चमन भी। परिवार के हित के लिए पीड़ा की पोटली, नित बाप उठाता भी है,करता है वहन भी। तूफान तनावों के मुस्कुराके झेलता, …

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अपना ही गणतंत्र है बंधु- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

अपना ही गणतंत्र है बंधु- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

अपना ही गणतंत्र है बंधु अपना ही गणतंत्र है बंधु! कभी ‘गांव का ग्वाला’ जैसा, कभी ‘शहर की बाला’ जैसा, कभी ‘जीभ पर ताला’ जैसा, कभी ‘शोर की शाला’ जैसा, रुकता-चलता यंत्र है बंधु! अपना ही गणतंत्र है बंधु! कभी ‘पांव का छाला’ जैसा, कभी ‘पांव का छाला’ जैसा, कभी ‘एकदम आला’ जैसा, ‘उत्सव का …

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चांद हैं, आफताब हैं बच्चे- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

चांद हैं, आफताब हैं बच्चे- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

चांद हैं, आफताब हैं बच्चे चांद हैं, आफताब हैं बच्चे। रोशनी की किताब हैं बच्चे। अपने स्कूल जब ये जाते हैं, ऐसा लगता गुलाब हैं बच्चे। व्यास, सतलज सरीखे दरिया हैं, रावी, झेलम, चिनाब हैं बच्चे। अपनी मस्ती की राजधानी में, अपने मन के नबाब हैं बच्चे। जब कभी भी ये खिलखिलाते हैं, ऐसा लगता …

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 गायब है गोरैया- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 गायब है गोरैया- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

गायब है गोरैया चेतन-चिंतन ‘चह-चह’ का लेकर आती थी, कुदरती घड़ी की ‘घंटी सदृश’ जगाती थी, खिड़की से, कभी झरोखे से घुसकर घर में, भैरवी जागरण की जो सुबह सुनाती थी, गायब है गोरैया, खोजें, फिर घर लाएं । रुठी है तो मनुहार करें, हम समझाएं । गोरैया की चह-चह में मोहक गीत छिपा, मीठा-मीठा …

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 वसंत- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 वसंत- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 वसंत रिश्तों में हो मिठास तो समझो वसंत है मन में न हो खटास तो समझो वसंत है। आँतों में किसी के भी न हो भूख से ऐंठन रोटी हो सबके पास तो समझो वसंत है। दहशत से रहीं मौन जो किलकारियाँ उनके होंठों पे हो सुहास तो समझो वसंत है। खुशहाली न सीमित रहे …

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सत्य की जीत- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

सत्य की जीत- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

सत्य की जीत-हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत। गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत॥ सच्चाई की राह पर, लाख बिछे हों शूल। बिना रुके चलते रहें, शूल बनेंगे फूल॥ क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली अत्याचार दगा, द्वेष, अन्याय, छल, रावण का परिवार॥ राम चिरंतन चेतना, राम सनातन …

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बेटियां शुभकामनाएं हैं-हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

बेटियां शुभकामनाएं हैं-हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

बेटियां शुभकामनाएं हैं-हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी बेटियां शुभकामनाएं हैं, बेटियां पावन दुआएं हैं। बेटियां जीनत हदीसों की, बेटियां जातक कथाएं हैं। बेटियां गुरुग्रंथ की वाणी, बेटियां वैदिक ऋचाएं हैं। जिनमें खुद भगवान बसता है, बेटियां वे वन्दनाएं हैं। त्याग, तप, गुणधर्म, साहस की बेटियां गौरव कथाएं हैं। मुस्कुरा के पीर पीती हैं, बेटी हर्षित …

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मां-हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

मां-हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

मां-हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी मां बच्चों को सदा बचाती, दुविधा-दिक्कत, कोप-कहर से । बुरी नजर ‘छू-मंतर’ होती, मां की ममता भरी नजर से।। बच्चों की खुशियों की खातिर, मां ने मन्नत मान रखी है। मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे से, और साथ में गिरजाघर से ।। रोजगार के लिए सुबह जब, शहर चले जाते हैं बच्चे । मां …

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तुम कहोगे यही ? (ईश्वरवादी सोच अवैज्ञानिक)- हिंदी कविता -अजय शोभने

तुम कहोगे यही ?  (ईश्वरवादी सोच अवैज्ञानिक)- हिंदी कविता -अजय शोभने

तुम कहोगे यही ? (ईश्वरवादी सोच अवैज्ञानिक) तुम कहोगे यही ? मैंने तुम्हें ठीक से पुकारा नहीं होगा ! बहुत सुना जग में, चीरहरण पर तुम आ जाते हो, पर मेरी आबरू लुटती रही, और तुम आये नहीं हो ! तुम कहोगे यही ? मैंने तुम्हें ठीक से पुकारा नहीं होगा, पर मैं कहूंगी, अब …

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सागर में मोती भरे-पड़े हैं (लक्ष्य प्राप्ती की दिशा)- हिंदी कविता -अजय शोभने

सागर में मोती भरे-पड़े हैं  (लक्ष्य प्राप्ती की दिशा)- हिंदी कविता -अजय शोभने

सागर में मोती भरे-पड़े हैं (लक्ष्य प्राप्ती की दिशा) सागर में मोती भरे-पड़े हैं, पर वो कितनों को मिल पाते हैं ? जो तैर – डूबता-उतराता है, बस वे मोंती उसके हो जाते हैं ! एवरेस्ट की चोटी छूने, कितनों के मन ललचाते हैं, उनमें से न जाने कितने ही, सोच-सोच रह जाते हैं ! …

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