राजर्षि (उपन्यास) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : (जयश्री दत्त) तीसरा भाग

राजर्षि (उपन्यास) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : (जयश्री दत्त) तीसरा भाग

Contents1 राजर्षि (उपन्यास) : तीसरा भाग : तेईसवाँ परिच्छेद2 राजर्षि (उपन्यास) : तीसरा भाग : चौबीसवाँ परिच्छेद3 राजर्षि (उपन्यास) : तीसरा भाग : पच्चीसवाँ परिच्छेद4 राजर्षि (उपन्यास) : तीसरा भाग : छब्बीसवाँ परिच्छेद5 राजर्षि (उपन्यास) : तीसरा भाग : सत्ताईसवाँ परिच्छेद6 राजर्षि (उपन्यास) : तीसरा भाग : अठाईसवाँ परिच्छेद7 राजर्षि (उपन्यास) : तीसरा भाग : …

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राजर्षि (उपन्यास) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : (जयश्री दत्त) दूसरा भाग

राजर्षि (उपन्यास) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : (जयश्री दत्त)  दूसरा भाग

Contents1 राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : बारहवाँ परिच्छेद2 राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : तेरहवाँ परिच्छेद3 राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : चौदहवाँ परिच्छेद4 राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : पन्द्रहवाँ परिच्छेद5 राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : सोलहवाँ परिच्छेद6 राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : सतरहवाँ परिच्छेद7 राजर्षि (उपन्यास) : दूसरा भाग : …

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राजर्षि (उपन्यास) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : (जयश्री दत्त) पहला भाग 

राजर्षि (उपन्यास) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : (जयश्री दत्त)  पहला भाग 

Contents1 राजर्षि (उपन्यास) : सूचना2 राजर्षि (उपन्यास) : पहला भाग : पहला परिच्छेद3 राजर्षि (उपन्यास) : पहला भाग : दूसरा परिच्छेद4 राजर्षि (उपन्यास) : पहला भाग : तीसरा परिच्छेद5 राजर्षि (उपन्यास) : पहला भाग : चौथा परिच्छेद6 राजर्षि (उपन्यास) : पहला भाग : पाँचवाँ परिच्छेद7 राजर्षि (उपन्यास) : पहला भाग : छठा परिच्छेद8 राजर्षि (उपन्यास) …

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आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 4

आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 4

आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 4 आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : चौथा भाग 37 रात के अँधेरे में बिहारी कभी अकेले ध्यान नहीं लगाता। अपने लिए अपने को उसने कभी भी आलोच्य नहीं बनाया। वह पढ़ाई-लिखाई, काम-काज, हित-मित्रों में ही मशगूल रहता। अपने बजाय अपने …

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आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 3

आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 3

आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 3 आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : तीसरा भाग 25 उस दिन फागुन की पहली बसंती बयार बह आई। बड़े दिनों के बाद आशा शाम को छत पर चटाई बिछा कर बैठी। मद्धिम रोशनी में एक मासिक पत्रिका में छपी हुई …

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आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 2

आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 2

आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 2 आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : दूसरा भाग 13 विनोदिनी जब बिलकुल ही पकड़ में न आई, तो आशा को एक तरकीब सूझी। बोली, ‘भई आँख की किरकिरी, तुम मेरे पति के सामने क्यों नहीं आती, भागती क्यों फिरती हो?’ …

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आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 1

आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 1

आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : रवींद्रनाथ टैगोर-अनुवाद : ( हंसकुमार तिवारी ) Part 1 आँख की किरकिरी (उपन्यास-चोखेर बाली) : पहला भाग 1 विनोद की माँ हरिमती महेंद्र की माँ राजलक्ष्मी के पास जा कर धरना देने लगी। दोनों एक ही गाँव की थीं, छुटपन में साथ खेली थीं। राजलक्ष्मी महेंद्र के पीछे पड़ …

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गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 5

गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 5

Contents1 अध्याय-202 परिशिष्ट गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 5 अध्याय-20 अपने यहाँ बहुत दिन उत्पीड़न सहकर आनंदमई के पास बिताए हुए इन कुछ दिनों में जैसी सांत्वना सुचरिता को मिली वैसी उसने कभी नहीं पाई थी। आनंदमई ने ऐसे सरल भाव से उसे अपने इतना समीप खींच लिया कि सुचरिता …

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गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 4

गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 4

Contents1 अध्याय-172 अध्याय-183 अध्याय-19 गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 4 अध्याय-17 आनंदमई से विनय ने कहा, “देखो माँ, मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ, जब-जब भी मैं मूर्ति को प्रणाम करता रहा हूँ मन-ही-मन मुझे न जाने कैसी शर्म आती रही है। उस शर्म को मैंने छिपाए रखा है- बल्कि उल्टे …

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गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 3

गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 3

Contents1 अध्याय-112 अध्याय-123 अध्याय-134 अध्याय-145 अध्याय-156 अध्याय-16 गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 3 अध्याय-11 ललिता के पास से लौटकर उस दिन विनय के मन में एक शंका रह-रहकर काँटे-सी चुभ रही थी। वह सोचने लगा- परेशबाबू के घर में मेरा आना-जाना किसी को अच्छा लगता है या नहीं, ठीक-ठीक यह …

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