गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 2
Contents1 अध्याय-62 अध्याय-73 अध्याय-84 अध्याय-95 अध्याय-10 गोरा (बांग्ला उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर – अनुवाद: अज्ञेय Part 2 “ अध्याय-6 गोरा ने दो-तीन घंटे की नींद के बाद जागकर देखा कि विनय पास ही सोया हुआ है, देखकर उसका हृदय आनंद से भर उठा। कोई प्रिय वस्तु सपने में खोकर, जागकर यह देखे कि वह वस्तु …