तितली (उपन्यास) तृतीय खंड : जयशंकर प्रसाद
तितली (उपन्यास) तृतीय खंड : जयशंकर प्रसाद 1 निर्धन किसानों में किसी ने पुरानी चादर को पीले रंग से रंग लिया, तो किसी की पगड़ी ही बचे हुए फीके रंग से रंगी है। आज बसंत-पंचमी है न ! सबके पास कोई न कोई पीला कपड़ा है। दरिद्रता में भी पर्व और उत्सव तो मनाए ही …