गबन (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 1-अध्याय 2 )

गबन (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

अध्याय 1 (1)बरसात के दिन हैं, सावन का महीना। आकाश में सुनहरी घटाएँ छाई हुई हैं। रह – रहकर रिमझिम वर्षा होने लगती है। अभी तीसरा पहर है; पर ऐसा मालूम हों रहा है, शाम हो गयी। आमों के बाग़ में झूला पड़ा हुआ है। लड़कियाँ भी झूल रहीं हैं और उनकी माताएँ भी। दो-चार …

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गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

Contents1 गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 36 Tak)2 गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (9 se 23 Tak)3 गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (1 se 8 Tak)4 निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 36 Tak) September 29, 2024 by Hindi_Writer गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 36 Tak) 24.सोना …

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गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 36 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 23 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 36 Tak) 24.सोना सत्रहवें साल में थी और इस साल उसका विवाह करना आवश्यक था। होरी तो दो साल से इसी फ़िक्र में था, पर हाथ ख़ाली होने से कोई क़ाबू न चलता था। मगर इस साल जैसे भी हो, उसका विवाह कर देना ही चाहिए, चाहे क़रज़ …

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गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (9 se 23 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (9 se 8 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (9 se 23 Tak) 9.प्रातःकाल होरी के घर में एक पूरा हंगामा हो गया। होरी धनिया को मार रहा था। धनिया उसे गालियाँ दे रही थी। दोनों लड़कियाँ बाप के पाँवों से लिपटी चिल्ला रही थीं और गोबर माँ को बचा रहा था। बार-बार होरी का हाथ पकड़कर पीछे ढकेल …

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गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (1 se 8 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (1 se 8 Tak) गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद 1.होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी देकर अपनी स्त्री धनिया से कहा — गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूँ। ज़रा मेरी लाठी दे दे।धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे। उपले पाथकर आयी थी। बोली …

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निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

Contents1 निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (17 se 27 tak)2 निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (1 se 16 tak)3 प्रेमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (17 se 27 tak) September 29, 2024 by Hindi_Writer निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (17 …

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निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (17 se 27 tak)

निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (1 se 16 tak)

निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (17 se 27 tak) (17)कृष्णा के विवाह के बाद सुधा चली गई, लेकिन निर्मला मैके ही में रह गई। वकील साहब बार-बार लिखते थे, पर वह न जाती थी। वहां जाने को उसका जी न चाहता था। वहां कोई ऐसी चीज न थी, जो उसे खींच ले जाये। …

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निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (1 se 16 tak)

निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (1-4)

निर्मला (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद Part 1 (1 se 16 tak) (1)यों तो बाबू उदयभानुलाल के परिवार में बीसों ही प्राणी थे, कोई ममेरा भाई था, कोई फुफेरा, कोई भांजा था, कोई भतीजा, लेकिन यहाँ हमें उनसे कोई प्रयोजन नहीं, वह अच्छे वकील थे, लक्ष्मी प्रसन्न थीं और कुटुम्ब के दरिद्र प्राणियों को आश्रय देना …

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प्रेमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

Prema (Novel): Munshi Premchand

Contents1 प्रेमा भाग 9-प्रेमा भाग 13 (प्रेमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद_2 प्रेमा भाग 1-प्रेमा भाग 8 (प्रेमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद_3 रंगभूमि (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद प्रेमा भाग 9-प्रेमा भाग 13 (प्रेमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद_ September 29, 2024 by Hindi_Writer प्रेमा भाग 9तुम सचमुच जादूगर हो नौ बजे रात का समय था। पूर्णा अँधेरे कमरे में …

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प्रेमा भाग 9-प्रेमा भाग 13 (प्रेमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद_

प्रेमा भाग 1-प्रेमा भाग 8 (प्रेमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद_

प्रेमा भाग 9तुम सचमुच जादूगर हो नौ बजे रात का समय था। पूर्णा अँधेरे कमरे में चारपाई पर लेटी हुई करवटें बदल रही है और सोच रही है आखिर वह मुझेस क्या चाहते है? मै तो उनसे कह चुकी कि जहॉँ तक मुझसे हो सकेगा आपका कार्य सिद्व करने में कोई बात उठा न रखूँगी। …

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