जुल्फ – अंगडाई – तबस्सुम – चाँद – आईना -गुलाब -अदम गोंडवी

जुल्फ – अंगडाई – तबस्सुम – चाँद – आईना -गुलाब -अदम गोंडवी

जुल्फ – अंगडाई – तबस्सुम – चाँद – आईना -गुलाब भुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इनका शबाब पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी इस अहद में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की किताब इस सदी की तिश्नगी का ज़ख्म होंठों पर लिए बेयक़ीनी के सफ़र में ज़िंदगी है इक अजाब डाल पर …

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सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद है -अदम गोंडवी

सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद है -अदम गोंडवी

सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद है दिल पे रख के हाथ कहिए देश क्या आज़ाद है कोठियों से मुल्क के मेआर को मत आंकिए असली हिंदुस्तान तो फुटपाथ पे आबाद है जिस शहर में मुंतजिम अंधे हो जल्वागाह के उस शहर में रोशनी की बात बेबुनियाद है ये नई पीढ़ी पे मबनी है …

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भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो -अदम गोंडवी

भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो -अदम गोंडवी

भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो जो ग़ज़ल माशूक के जल्वों से वाक़िफ़ हो गयी उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो मुझको नज़्मो-ज़ब्त की तालीम देना बाद में पहले अपनी रहबरी को आचरन तक ले चलो गंगाजल अब बूर्जुआ तहज़ीब …

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ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में -अदम गोंडवी

ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में -अदम गोंडवी

ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में मुसल्‍सल फ़न का दम घुटता है इन अदबी इदारों में न इनमें वो कशिश होगी, न बू होगी, न रानाई खिलेंगे फूल बेशक लॉन की लंबी क़तारों में अदीबो! ठोस धरती की सतह पर लौट भी आओ मुलम्‍मे के सिवा क्‍या है फ़लक़ के चाँद-तारों …

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वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं -अदम गोंडवी

वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं -अदम गोंडवी

वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं वे अभागे आस्‍था विश्‍वास ले कर क्‍या करें लोकरंजन हो जहाँ शंबूक-वध की आड़ में उस व्‍यवस्‍था का घृणित इतिहास ले कर क्‍या करें कितना प्रगतिमान रहा भोगे हुए क्षण का इतिहास त्रासदी, कुंठा, घुटन, संत्रास ले कर क्‍या करें बुद्धिजीवी के यहाँ सूखे का मतलब और …

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आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे-अदम गोंडवी

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे-अदम गोंडवी

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आँख सोचने को कोई बाबा बाल्टी वाला रहे तालिबे शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए चार …

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घर में ठण्डे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है -अदम गोंडवी

घर में ठण्डे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है -अदम गोंडवी

घर में ठण्डे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है । बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है । भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारिन-सी, ये सुब‍हे-फ़रवरी बीमार पत्नी से भी पीली है । बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल के सूखे दरिया में, मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली …

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जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे -अदम गोंडवी

जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे -अदम गोंडवी

जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे । कमीशन दो तो हिन्दुस्तान को नीलाम कर देंगे । सुरा औ’ सुन्दरी के शौक़ में डूबे हुए रहबर, ये दिल्ली को रँगीलेशाह का हम्माम कर देंगे । ये वन्देमातरम् का गीत गाते हैं सुबह उठकर, मगर बाज़ार में चीज़ों का दुगुना दाम कर देंगे …

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मुक्तिकामी चेतना, अभ्यर्थना इतिहास की -अदम गोंडवी

मुक्तिकामी चेतना, अभ्यर्थना इतिहास की -अदम गोंडवी

मुक्तिकामी चेतना, अभ्यर्थना इतिहास की । ये समझदारों की दुनिया है विरोधाभास की । आप कहते हैं जिसे इस देश का स्वर्णिम अतीत, वो कहानी है महज़ प्रतिशोध की, संत्रास की । यक्ष-प्रश्नों में उलझकर रह गई बूढ़ी सदी, ये प्रतीक्षा की घड़ी है क्या हमारी प्यास की । इस व्यवस्था ने नई पीढ़ी को …

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जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए -अदम गोंडवी

जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए -अदम गोंडवी

जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए । आप भी इस भीड़ में घुसकर तमाशा देखिए । जो बदल सकती है इस दुनिया के मौसम का मिज़ाज, उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिए । जल रहा है देश, यह बहला रही है क़ौम को, किस तरह अश्लील है संसद की भाषा …

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