वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे- अदम गोंडवी
वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे दरअसल मुंशी जी अपने दौर के मंसूर थे अपने अफसानों में औसत आदमी को दी जगह जब अलिफलैला के किस्से ही यहाँ मशहूर थे
वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे दरअसल मुंशी जी अपने दौर के मंसूर थे अपने अफसानों में औसत आदमी को दी जगह जब अलिफलैला के किस्से ही यहाँ मशहूर थे
मैंने अदब से हाथ उठाया सलाम को मैंने अदब से हाथ उठाया सलाम को समझा उन्होंने इससे है खतरा निजाम को चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें चूल्हे पे क्या उसूल पकाएंगे शाम को
बज़ाहिर प्यार को दुनिया में जो नाकाम होता है बज़ाहिर प्यार को दुनिया में जो नाकाम होता है। कोई रूसॊ कोई हिटलर, कोई ख़ैयाम होता है । ज़हर देते हैं उसको हम कि ले जाते हैं सूली पर, यही इस दौर के मंसूर का अंजाम होता है। जुनूने-शौक़ में बेशक लिपटने को लिपट जाएँ, हवाओं …
भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है अहले हिन्दुस्तान अब तलवार के साये में है छा गई है जेहन की परतों पर मायूसी की धूप आदमी गिरती हुई दीवार के साये में है बेबसी का इक समंदर दूर तक फैला …
आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आँख सोचने को कोई बाबा बाल्टी वाला रहे तालिबे शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे …
जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे । कमीशन दो तो हिन्दुस्तान को नीलाम कर देंगे । सुरा औ’ सुन्दरी के शौक़ में डूबे हुए रहबर, ये दिल्ली को रँगीलेशाह का हम्माम कर देंगे । ये वन्देमातरम् का गीत गाते हैं सुबह …
ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी । फिर कहाँ से बीच में मस्जिद औ’ मंदर आ गए । जिनके चेह्रे पर लिखी थी जेल की ऊँची फ़सील, रामनामी ओढ़कर संसद के अन्दर आ गए । देखना, सुनना व सच कहना इन्हें भाता नहीं, कुर्सियों पर अब वही …
जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए – अदम गोंडवी जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए । आप भी इस भीड़ में घुसकर तमाशा देखिए । जो बदल सकती है इस दुनिया के मौसम का मिज़ाज, उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिए । जल रहा है देश, यह बहला …
काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में अदम गोंडवी काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में पैसे …
जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में- अदम गोंडवी जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में गांव तक वो रोशनी आयेगी कितने साल में बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई रमसुधी की झोपड़ी सरपंच की चौपाल में खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए हमको …