धन्य तू विनोबा !-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी
धन्य तू विनोबा ! जन की लगाय बाजी गाय की बचाई जान, धन्य तू विनोबा! तेरी कीरति अमर है। दूध बलकारी, जाको पूत हलधारी होय, सिंदरी लजात मल – मूत्र उर्वर है। घास–पात खात दीन वचन उचारे जात, मरि के हू काम देत चाम जो सुघर है। बाबा ने बचाय लीन्ही दिल्ली दहलाय दीन्ही, बिना …