धन्य तू विनोबा !-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

धन्य तू विनोबा !-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

धन्य तू विनोबा ! जन की लगाय बाजी गाय की बचाई जान, धन्य तू विनोबा! तेरी कीरति अमर है। दूध बलकारी, जाको पूत हलधारी होय, सिंदरी लजात मल – मूत्र उर्वर है। घास–पात खात दीन वचन उचारे जात, मरि के हू काम देत चाम जो सुघर है। बाबा ने बचाय लीन्ही दिल्ली दहलाय दीन्ही, बिना …

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स्वाधीनता के साधना पीठ-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

स्वाधीनता के साधना पीठ-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

स्वाधीनता के साधना पीठ अपने आदर्शों और विश्वासों के लिए काम करते-करते, मृत्यु का वरण करना सदैव ही स्पृहणीय है। किन्तु वे लोग सचमुच धन्य हैं जिन्हें लड़ाई के मैदान में, आत्माहुति देने का अवसर प्राप्त हुआ है। शहीद की मौत मरने का सौभाग्य सब को नहीं मिला करता। जब कोई शासक सत्ता के मद …

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न दैन्यं न पलायनम्-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

न दैन्यं न पलायनम्-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

न दैन्यं न पलायनम् कर्तव्य के पुनीत पथ को हमने स्वेद से सींचा है, कभी-कभी अपने अश्रु और— प्राणों का अर्ध्य भी दिया है। किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में— हम कभी रुके नहीं हैं। किसी चुनौती के सम्मुख कभी झुके नहीं हैं। आज, जब कि राष्ट्र-जीवन की समस्त निधियाँ, दाँव पर लगी हैं, और, एक घनीभूत …

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मैंने जन्म नहीं मांगा था!-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

मैंने जन्म नहीं मांगा था!-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

मैंने जन्म नहीं मांगा था! मैंने जन्म नहीं मांगा था, किन्तु मरण की मांग करुँगा। जाने कितनी बार जिया हूँ, जाने कितनी बार मरा हूँ। जन्म मरण के फेरे से मैं, इतना पहले नहीं डरा हूँ। अन्तहीन अंधियार ज्योति की, कब तक और तलाश करूँगा। मैंने जन्म नहीं माँगा था, किन्तु मरण की मांग करूँगा। …

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जीवन परिचय: अटल बिहारी वाजपेयी

जीवन परिचय: अटल बिहारी वाजपेयी

Contents1 अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन2 आरंभिक जीवन3 राजनीतिक जीवन4 प्रधानमंत्री के रूप में अटल का कार्यकाल4.1 परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाना4.2 पाकिस्तान से संबंध सुधार4.3 कारगिल युद्ध4.4 स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना5 कवि के रूप में अटल6 प्रमुख रचनाएँ7 पुरस्कार और सम्मान जीवन परिचय: अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन अटल बिहारी वाजपेयी (२५ …

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 सपना टूट गया- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

 सपना टूट गया- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

 सपना टूट गया हाथों की हल्दी है पीली, पैरों की मेहँदी कुछ गीली पलक झपकने से पहले ही सपना टूट गया। दीप बुझाया रची दिवाली, लेकिन कटी न अमावस काली व्यर्थ हुआ आह्वान, स्वर्ण सवेरा रूठ गया, सपना टूट गया। नियति नटी की लीला न्यारी, सब कुछ स्वाहा की तैयारी अभी चला दो कदम कारवां, …

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आओ! मर्दो नामर्द बनो- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

आओ! मर्दो नामर्द बनो- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

आओ! मर्दो नामर्द बनो मर्दों ने काम बिगाड़ा है, मर्दों को गया पछाड़ा है झगड़े-फसाद की जड़ सारे जड़ से ही गया उखाड़ा है मर्दों की तूती बन्द हुई औरत का बजा नगाड़ा है गर्मी छोड़ो अब सर्द बनो। आओ मर्दों, नामर्द बनो। गुलछरे खूब उड़ाए हैं, रस्से भी खूब तुड़ाए हैं, चूँ चपड़ चलेगी …

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जंग न होने देंगे- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

जंग न होने देंगे- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

जंग न होने देंगे हम जंग न होने देंगे! विश्व शांति के हम साधक हैं, जंग न होने देंगे! कभी न खेतों में फिर खूनी खाद फलेगी, खलिहानों में नहीं मौत की फसल खिलेगी, आसमान फिर कभी न अंगारे उगलेगा, एटम से नागासाकी फिर नहीं जलेगी, युद्धविहीन विश्व का सपना भंग न होने देंगे। जंग …

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देखो हम बढ़ते ही जाते- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

देखो हम बढ़ते ही जाते- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

देखो हम बढ़ते ही जाते बढ़ते जाते देखो हम बढ़ते ही जाते॥ उज्वलतर उज्वलतम होती है महासंगठन की ज्वाला प्रतिपल बढ़ती ही जाती है चंडी के मुंडों की माला यह नागपुर से लगी आग ज्योतित भारत मां का सुहाग उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम दिश दिश गूंजा संगठन राग केशव के जीवन का पराग अंतस्थल की …

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 मनाली मत जइयो- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

 मनाली मत जइयो- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

 मनाली मत जइयो मनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में। जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो, अधर में लटकीहौ, वायुदूत के जहाज़ में। जइयो तो जइयो, सन्देसा न पइयो, टेलिफोन बिगड़े हैं, मिर्धा महाराज में। जइयो तो जइयो, मशाल ले के जइयो, बिजुरी भइ बैरिन अंधेरिया रात में। मनाली तो जइहो। सुरग सुख पइहों। …

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