हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये- अदम गोंडवी
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये- अदम गोंडवी हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िये ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं; जुम्मन का घर फिर क्यों जले …