अखबारी आदमी – अनन्त मिश्र
अखबारी आदमी – अनन्त मिश्र वह चीखता ऐसे है जैसे छप रहा हो और जब हँसता है तो उसे मशीन से अखबार की तरह लद-लद गिरते देखा जा सकता है, वह इकट्ठा होता है अपने वजूद में बंडल का बंडल सबसे आँख लड़ाती बेहया औरत की तरह वह इतना प्रसिद्ध होता है कि दिन भर …