अखबारी आदमी – अनन्त मिश्र

अखबारी आदमी – अनन्त मिश्र

अखबारी आदमी – अनन्त मिश्र वह चीखता ऐसे है जैसे छप रहा हो और जब हँसता है तो उसे मशीन से अखबार की तरह लद-लद गिरते देखा जा सकता है, वह इकट्ठा होता है अपने वजूद में बंडल का बंडल सबसे आँख लड़ाती बेहया औरत की तरह वह इतना प्रसिद्ध होता है कि दिन भर …

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पहले और अब- अनन्त मिश्र

पहले और अब- अनन्त मिश्र

पहले और अब- अनन्त मिश्र पहले माँ के हाथ की महकते घी में चुपड़ी रोटी थी गुड़ था, पहले पीठ पर बस्ता था साथ में भेली-भूजा लड़कों का साथ था पैदल स्कूल जाते हुए मंजिल के लिए बड़े-बड़े पेड़ों के निशान थे, पहले कुआँ था पोखरा भी दोपहरी में तैरना था लौटकर आने पर पिता …

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पहले धीरे धीरे बाद में जल्दी-जल्दी- अनन्त मिश्र

पहले धीरे धीरे बाद में जल्दी-जल्दी- अनन्त मिश्र

पहले धीरे धीरे बाद में जल्दी-जल्दी- अनन्त मिश्र धीरे धीरे भूलते हैं नाम भूलते जाते हैं चेहरों और नाम के ऐक्य, चश्मा छूटता है यहाँ-वहाँ गायब भी होने लगते हैं जेब में रखे पैसे, पेनकार्ड का नंबर भूलने लगता है खाता संख्या भी भूलती है। आधार कार्ड का नंबर और बिल्कुल सगों को छोड़कर भूल …

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जीवन का गान- अनन्त मिश्र

जीवन का गान- अनन्त मिश्र

जीवन का गान – अनन्त मिश्र स्त्रियाँ रहेंगी मटकौरा होगा पितर-न्यौंती गाएँगी दुलहन सजायी जाएगी जवान सब सजेंगे जीवन का गान बना रहेगा पेड़ रहेंगे बेशक पत्ते झरेंगे जीवन का गान चलता रहेगा पक्षी सुबह गायेंगे भोर खूबसूरत होगी बूढ़े टहलेंगे और अधिक जीने की इच्छा रखेंगे जीवन का गान चलता रहेगा। युवक-युवतियाँ प्रेम करेंगे …

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मेरा पता- अनन्त मिश्र

मेरा पता- अनन्त मिश्र

मेरा पता- अनन्त मिश्र मेरा पता आकस्मिक है पोस्टमैन जो जानता है वह मेरा पता नहीं है । मेरा मोबाइल नंबर आकस्मिक है जो लोग फोन करते हैं वे मेरा असली नंबर नहीं जानते, मेरा नाम आकस्मिक है जो लोग लेते हैं वे मेरा नाम नहीं जानते, मेरा घर, मेरा ठौर सब आकस्मिक है मैं …

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मैं कविता लिखता हूँ- अनन्त मिश्र

मैं कविता लिखता हूँ- अनन्त मिश्र

मैं कविता लिखता हूँ- अनन्त मिश्र बोलने और बात करने के लिए बहुत कुछ पर मौन होने के लिए कम है कुछ शायद कुछ नहीं हैं और शायद है भी तो असह्य है वह मौन से भाषा होने में एक जीवित आदमी लगभग निरर्थक हो जाता है। तुम किस अभिव्यक्ति के बारे में कह रहे …

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