नदिया- अनिता सुधीर आख्या

नदिया- अनिता सुधीर आख्या

नदिया- अनिता सुधीर आख्या कल-कल करके नदिया बहती। हर-पल हर-क्षण बहती रहती।। धरती की प्यास बुझाने में अपनी गाथा सबसे कहती।। ऊँचे पर्वत से आती हूँ। टेढ़ा-मेढ़ा पथ पाती हूँ।। गाँव शहर से होते-होते सागर को गले लगाती हूँ।। नही बिजूके से डरती हूँ। खेतो में पानी भरती हूँ। गेहूँ की बाली फिर झूमे सपनों …

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नभ – अनिता सुधीर आख्या

नभ – अनिता सुधीर आख्या

नभ – अनिता सुधीर आख्या टिमटिम करते कितने तारे। नभ में रहते मिल कर सारे।। दूर बहुत ये हमसे कितने! प्यारे सबको लगते इतने।। जब बादल सारे छँट जाते चंदा सँग फिर तारे आते।। भोर हुई तब तारे भागे। सूरज चमके नभ में आगे।। तारे दिन में खो जाते क्या। दूर गगन में सो जाते …

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