वैभव के अमिट चरण-चिह्न-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

वैभव के अमिट चरण-चिह्न-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

वैभव के अमिट चरण-चिह्न विजय का पर्व! जीवन संग्राम की काली घड़ियों में क्षणिक पराजय के छोटे-छोट क्षण अतीत के गौरव की स्वर्णिम गाथाओं के पुण्य स्मरण मात्र से प्रकाशित होकर विजयोन्मुख भविष्य का पथ प्रशस्त करते हैं। अमावस के अभेद्य अंधकार का— अन्तकरण पूर्णिमा का स्मरण कर थर्रा उठता है। सरिता की मँझधार में …

Read more

कवि आज सुना वह गान रे-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

कवि आज सुना वह गान रे-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

कवि आज सुना वह गान रे कवि आज सुना वह गान रे, जिससे खुल जाएँ अलस पलक। नस–नस में जीवन झंकृत हो, हो अंग–अंग में जोश झलक। ये – बंधन चिरबंधन टूटें-फूटें प्रासाद गगनचुम्बी हम मिलकर हर्ष मना डालें, हूकें उर की मिट जाएँ सभी। यह भूख-भूख सत्यानाशी बुझ जाय उदर की जीवन में। हम …

Read more

धन्य तू विनोबा !-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

धन्य तू विनोबा !-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

धन्य तू विनोबा ! जन की लगाय बाजी गाय की बचाई जान, धन्य तू विनोबा! तेरी कीरति अमर है। दूध बलकारी, जाको पूत हलधारी होय, सिंदरी लजात मल – मूत्र उर्वर है। घास–पात खात दीन वचन उचारे जात, मरि के हू काम देत चाम जो सुघर है। बाबा ने बचाय लीन्ही दिल्ली दहलाय दीन्ही, बिना …

Read more

स्वाधीनता के साधना पीठ-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

स्वाधीनता के साधना पीठ-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

स्वाधीनता के साधना पीठ अपने आदर्शों और विश्वासों के लिए काम करते-करते, मृत्यु का वरण करना सदैव ही स्पृहणीय है। किन्तु वे लोग सचमुच धन्य हैं जिन्हें लड़ाई के मैदान में, आत्माहुति देने का अवसर प्राप्त हुआ है। शहीद की मौत मरने का सौभाग्य सब को नहीं मिला करता। जब कोई शासक सत्ता के मद …

Read more

न दैन्यं न पलायनम्-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

न दैन्यं न पलायनम्-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

न दैन्यं न पलायनम् कर्तव्य के पुनीत पथ को हमने स्वेद से सींचा है, कभी-कभी अपने अश्रु और— प्राणों का अर्ध्य भी दिया है। किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में— हम कभी रुके नहीं हैं। किसी चुनौती के सम्मुख कभी झुके नहीं हैं। आज, जब कि राष्ट्र-जीवन की समस्त निधियाँ, दाँव पर लगी हैं, और, एक घनीभूत …

Read more

मैंने जन्म नहीं मांगा था!-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

मैंने जन्म नहीं मांगा था!-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी

मैंने जन्म नहीं मांगा था! मैंने जन्म नहीं मांगा था, किन्तु मरण की मांग करुँगा। जाने कितनी बार जिया हूँ, जाने कितनी बार मरा हूँ। जन्म मरण के फेरे से मैं, इतना पहले नहीं डरा हूँ। अन्तहीन अंधियार ज्योति की, कब तक और तलाश करूँगा। मैंने जन्म नहीं माँगा था, किन्तु मरण की मांग करूँगा। …

Read more