वैभव के अमिट चरण-चिह्न-न दैन्यं न पलायनम्-(हिन्दी कविता)-अटल बिहारी वाजपेयी
वैभव के अमिट चरण-चिह्न विजय का पर्व! जीवन संग्राम की काली घड़ियों में क्षणिक पराजय के छोटे-छोट क्षण अतीत के गौरव की स्वर्णिम गाथाओं के पुण्य स्मरण मात्र से प्रकाशित होकर विजयोन्मुख भविष्य का पथ प्रशस्त करते हैं। अमावस के अभेद्य अंधकार का— अन्तकरण पूर्णिमा का स्मरण कर थर्रा उठता है। सरिता की मँझधार में …