कटोरा भर खून (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 2

कटोरा भर खून (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 2

कटोरा भर खून (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 2 कटोरा भर खून : खंड-8 घटाटोप अंधेरी छाई हुई है, रात आधी से ज्यादा जा चुकी है, बादल गरज रहे हैं, बिजली चमक रही है, मूसलाधार पानी बरस रहा है, सड़क पर बित्ता-बित्ता-भर पानी चढ़ गया है, राह में कोई मुसाफिर चलता हुआ नहीं दिखाई देता। …

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कटोरा भर खून (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 1

कटोरा भर खून (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 1

कटोरा भर खून (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री Part 1 कटोरा भर खून : खंड-1 लोग कहते हैं कि नेकी का बदला नेक और बदी का बदला बद से मिलता. है मगर नहीं, देखो, आज मैं किसी नेक और पतिव्रता स्त्री के साथ बदी किया चाहता हूँ। अगर मैं अपना काम पूरा कर सका तो कल …

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काजर की कोठरी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री part 2

काजर की कोठरी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री part 2

काजर की कोठरी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री part 2 काजर की कोठरी : खंड-6 पारसनाथ अपने चाचा के हाल-चाल बराबर लिया करता था। उसने अपने ढंग पर कई ऐसे आदमी मुकर्रर कर रखे थे जो कि लालसिंह का रत्ती-रत्ती हाल उसके कानों तक पहुँचाया करते और जैसा कि प्रायः कुपात्रों के संगी-साथी किया करते हैं …

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काजर की कोठरी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री part 1

काजर की कोठरी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री part 1

काजर की कोठरी (उपन्यास) : देवकीनन्दन खत्री part 1 काजर की कोठरी : खंड-1 संध्या होने में अभी दो घंटे की देर है मगर सूर्य भगवान के दर्शन नहीं हो रहे , क्योंकि काली-काली घटाओं ने आसमान को चारों तरफ से घेर लिया है। जिधर निगाह दौड़ाइए मजेदार समा नजर आता है और इसका तो …

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चंद्रकांता (उपन्यास) चौथा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) चौथा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) चौथा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 वनकन्या को यकायक जमीन से निकल कर पैर पकड़ते देख वीरेंद्रसिंह एकदम घबरा उठे। देर तक सोचते रहे कि यह क्या मामला है, यहाँ वनकन्या क्यों कर आ पहुँची और यह योगी कौन हैं जो इसकी मदद कर रहे हैं? आखिर बहुत देर तक चुप …

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चंद्रकांता (उपन्यास) तीसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) तीसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) तीसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 वह नाजुक औरत जिसके हाथ में किताब है और जो सब औरतों के आगे-आगे आ रही है, कौन और कहाँ की रहने वाली है, जब तक यह न मालूम हो जाए तब तक हम उसको वनकन्या के नाम से लिखेंगे। धीरे-धीरे चल कर वनकन्या जब …

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चंद्रकांता (उपन्यास) दूसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) दूसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) दूसरा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 इस आदमी को सभी ने देखा मगर हैरान थे कि यह कौन है, कैसे आया और क्या कह गया। तेजसिंह ने जोर से पुकार के कहा – ‘आप लोग चुप रहें, मुझको मालूम हो गया कि यह सब ऐयारी हुई है, असल में कुमारी और …

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चंद्रकांता (उपन्यास) पहला अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) पहला अध्याय : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता (उपन्यास) पहला अध्याय : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 शाम का वक्त है, कुछ-कुछ सूरज दिखाई दे रहा है, सुनसान मैदान में एक पहाड़ी के नीचे दो शख्स वीरेंद्रसिंह और तेजसिंह एक पत्थर की चट्टान पर बैठ कर आपस में बातें कर रहे हैं। वीरेंद्रसिंह की उम्र इक्कीस या बाईस वर्ष की होगी। यह …

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चंद्रकांता संतति (उपन्यास) खंड 1 – पहला भाग : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता संतति (उपन्यास) खंड 1 – पहला भाग : देवकीनन्दन खत्री

चंद्रकांता संतति (उपन्यास) खंड 1 – पहला भाग : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 नौगढ़ के राजा सुरेंद्रसिंह के लड़के वीरेंद्रसिंह की शादी विजयगढ़ के महाराज जयसिंह की लड़की चंद्रकांता के साथ हो गई। बारात वाले दिन तेजसिंह की आखिरी दिल्लगी के सबब चुनार के महाराज शिवदत्त को मशालची बनना पड़ा। बहुतों की यह राय हुई …

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भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री (तीसरा भाग)

भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री (तीसरा भाग)

भूतनाथ (उपन्यास) खण्ड 1 : देवकीनन्दन खत्री (तीसरा भाग) तीसरा भाग : पहिला बयान काशी शहर के बाहर उत्तर तरफ लाट भैरव का एक प्रसिद्ध स्थान है, पास ही में एक पक्का तालाब है और स्थान के इर्द-गिर्द कई पक्के कुएँ भी हैं वहीं पक्का तालाब कपालमोचन तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है, काशी में …

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