चंद्रकांता (उपन्यास) चौथा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री
चंद्रकांता (उपन्यास) चौथा अध्याय : देवकीनन्दन खत्री बयान – 1 वनकन्या को यकायक जमीन से निकल कर पैर पकड़ते देख वीरेंद्रसिंह एकदम घबरा उठे। देर तक सोचते रहे कि यह क्या मामला है, यहाँ वनकन्या क्यों कर आ पहुँची और यह योगी कौन हैं जो इसकी मदद कर रहे हैं? आखिर बहुत देर तक चुप …