हीराबाई वा बेहयाई का बोरका ( उपन्यास) : किशोरी लाल गोस्वामी
हीराबाई वा बेहयाई का बोरका ( उपन्यास) : किशोरी लाल गोस्वामी पहिला परिच्छेद : अत्याचार “सर्पः क्रूरः खलः क्रूरः सर्पात्क्रूरतरः खलः।मन्त्रौषधिवशः सर्पः खलः केन निवार्यते ॥”(हितोपदेशे) दिल्ली का ज़ालिम बादशाह अलाउद्दीन ख़िलजी जो अपने बूढे़ और नेक चचा जलालुद्दीन फ़ीरोज़ ख़िलजी को धोखा दे और उसे अपनी आंखों के सामने मरवाकर [सन् १२९५ ईस्वी] आप …