आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 3 – प्रेमचंद

आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 3 – प्रेमचंद

आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 3 – प्रेमचंद आजाद-कथा : भाग 1 – खंड 21 मियाँ आजाद रेल पर बैठ कर नाविल पढ़ रहे थे कि एक साहब ने पूछा – जनाब, दो-एक दम लगाइए, तो पेचवान हाजिर है। वल्लाह, वह धुआँधार पिलाऊँ कि दिल फड़क उठे। मगर याद रखिए, दो दम …

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आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 2 – प्रेमचंद

आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 2 – प्रेमचंद

आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 2 – प्रेमचंद आजाद-कथा : भाग 1 – खंड 11 एक दिन आजाद शहर की सैर करते हुए एक मकतबखाने में जा पहुँचे। देखा, एक मौलवी साहब खटिया पर उकड़ू बैठे हुए लड़कों को पढ़ा रहे हैं। आपकी रँगी हुई दाढ़ी पेट पर लहरा रही है। गोल-गोल …

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आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 1 – प्रेमचंद

आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक – प्रेमचंद

आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 1 – प्रेमचंद आजाद-कथा : भाग 1 – खंड 1 मियाँ आजाद के बारे में, हम इतना ही जानते हैं कि वह आजाद थे। उनके खानदान का पता नहीं, गाँव-घर का पता नहीं; खयाल आजाद, रंग-ढंग आजाद, लिबास आजाद दिल आजाद और मजहब भी आजाद। दिन भर …

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