आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 3 – प्रेमचंद
आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 3 – प्रेमचंद आजाद-कथा : भाग 1 – खंड 21 मियाँ आजाद रेल पर बैठ कर नाविल पढ़ रहे थे कि एक साहब ने पूछा – जनाब, दो-एक दम लगाइए, तो पेचवान हाजिर है। वल्लाह, वह धुआँधार पिलाऊँ कि दिल फड़क उठे। मगर याद रखिए, दो दम …