गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 36 Tak) September 29, 2024 by Hindi_Writer गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 36 Tak) 24.सोना सत्रहवें साल में थी और इस साल उसका विवाह करना आवश्यक था। होरी तो दो साल से इसी फ़िक्र में था, पर हाथ ख़ाली होने से कोई क़ाबू न चलता था। मगर इस …

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गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 36 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 23 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (24 se 36 Tak) 24.सोना सत्रहवें साल में थी और इस साल उसका विवाह करना आवश्यक था। होरी तो दो साल से इसी फ़िक्र में था, पर हाथ ख़ाली होने से कोई क़ाबू न चलता था। मगर इस साल जैसे भी हो, उसका विवाह कर देना ही चाहिए, चाहे क़रज़ …

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गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (9 se 23 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (9 se 8 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (9 se 23 Tak) 9.प्रातःकाल होरी के घर में एक पूरा हंगामा हो गया। होरी धनिया को मार रहा था। धनिया उसे गालियाँ दे रही थी। दोनों लड़कियाँ बाप के पाँवों से लिपटी चिल्ला रही थीं और गोबर माँ को बचा रहा था। बार-बार होरी का हाथ पकड़कर पीछे ढकेल …

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गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (1 se 8 Tak)

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (1 se 8 Tak) गोदान (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद 1.होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी देकर अपनी स्त्री धनिया से कहा — गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूँ। ज़रा मेरी लाठी दे दे।धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे। उपले पाथकर आयी थी। बोली …

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