कर्मभूमि (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (कर्मभूमि अध्याय 5)
कर्मभूमि (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (कर्मभूमि अध्याय 5) कर्मभूमि अध्याय 5 भाग 1 यह हमारा लखनऊ का सेंटल जेल शहर से बाहर खुली हुई जगह में है। सुखदा उसी जेल के जनाने वार्ड में एक वृक्ष के नीचे खड़ी बादलों की घुड़दौड़ देख रही है। बरसात बीत गई है। आकाश में बड़ी धूम से घेर-घार …