प्रतिज्ञा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 10- अध्याय 17 )

प्रतिज्ञा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 10- अध्याय 9 )

प्रतिज्ञा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 10- अध्याय 17 ) प्रतिज्ञा अध्याय 10 आदर्श हिंदू-बालिका की भाँति प्रेमा पति के घर आ कर पति की हो गई थी। अब अमृतराय उसके लिए केवल एक स्वप्न की भाँति थे, जो उसने कभी देखा था। वह गृह-कार्य में बड़ी कुशल थी। सारा दिन घर का कोई-न-कोई काम …

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प्रतिज्ञा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 1- अध्याय 9 )

प्रतिज्ञा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

प्रतिज्ञा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 1- अध्याय 9 ) प्रतिज्ञा अध्याय 1 काशी के आर्य-मंदिर में पंडित अमरनाथ का व्याख्यान हो रहा था। श्रोता लोग मंत्रमुग्ध से बैठे सुन रहे थे। प्रोफेसर दाननाथ ने आगे खिसक कर अपने मित्र बाबू अमृतराय के कान में कहा – ‘रटी हुई स्पीच है।’ अमृतराय स्पीच सुनने में …

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