रामचर्चा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (रामचर्चा अध्याय 5 – अध्याय 7 )

रामचर्चा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (रामचर्चा अध्याय 5 – अध्याय 7 )

रामचर्चा अध्याय 5 लंकादाह अशोकों के बाग से चलतेचलते हनुमान के जी में आया कि तनिक इन राक्षसों की वीरता की परीक्षा भी करता चलूं। देखूं, यह सब युद्ध की कला में कितने निपुण हैं। आखिर रामचन्द्र जी इन सबों का हाल पूछेंगे तो क्या बताऊंगा। यह सोचकर उन्होंने बाग़ के पेड़ों को उखाड़ना शुरू …

Read more

रामचर्चा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (रामचर्चा अध्याय 1 – अध्याय 4 )

रामचर्चा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

रामचर्चा अध्याय 1 जन्म प्यारे बच्चो! तुमने विजयदशमी का मेला तो देखा ही होगा। कहींकहीं इसे रामलीला का मेला भी कहते हैं। इस मेले में तुमने मिट्टी या पीतल के बन्दरों और भालुओं के से चेहरे लगाये आदमी देखे होंगे। राम, लक्ष्मण और सीता को सिंहासन पर बैठे देखा होगा और इनके सिंहासन के सामने …

Read more