रामचर्चा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (रामचर्चा अध्याय 5 – अध्याय 7 )
रामचर्चा अध्याय 5 लंकादाह अशोकों के बाग से चलतेचलते हनुमान के जी में आया कि तनिक इन राक्षसों की वीरता की परीक्षा भी करता चलूं। देखूं, यह सब युद्ध की कला में कितने निपुण हैं। आखिर रामचन्द्र जी इन सबों का हाल पूछेंगे तो क्या बताऊंगा। यह सोचकर उन्होंने बाग़ के पेड़ों को उखाड़ना शुरू …