तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 2

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 2

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 2 6अन्द्रेई अपने रोटियों के बोरे लादे उस पतली-सी कच्ची सुरंग के अंदर अंधेरे में टटोल-टटोलकर तातार औरत के पीछे चलने लगा।“जल्दी ही रास्ता दिखायी देने लगेगा,”राह दिखानेवाली ने कहा। “हम उस जगह के पास आ गये हैं जहां मैं अपना चिराग छोड़ गयी थी।”और सचमुच एक मद्विम-सा …

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तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 1

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 1

तारास बुल्बा (उपन्यास) : निकोलाई गोगोल Part 1 1“अच्छा, ज़रा घुमो तो, बेटा! अच्छे ख़ासे चिड़ीमार लगते हो तुम भी! यह क्या पादरियों के नीचे पहनने के लबादे जैसी पोशाक पहन रखी है तुमने? क्या अकादमी में सभी लोग ऐसे ही कपड़े पहनते हैं?”इन शब्दों से बूढ़े बुल्बा ने अपने दोनों बेटों का स्वागत किया …

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