रक्षाबंधन- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

रक्षाबंधन- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

रक्षाबंधन रक्षाबंधन ज्यों काव्य सरल भाई -बहनें ज्यों गीत- गजल रक्षा बंधन है एक नदी बहनें लहरें हैं, भाई जल रक्षाबंधन खुशियों की खनक बहनें रौनक, भाई संबल रक्षा बंधन सुख का मौसम बहनें बारिश, भाई बादल रक्षाबंधन आँखों की तरह बहनें दृष्टी, भाई काजल

 देश का गौरव मध्यप्रदेश- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 देश का गौरव मध्यप्रदेश- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 देश का गौरव मध्यप्रदेश महाकाल की महिमा पावन उज्जैनी शिप्रा मनभावन कालिदास का कविता-कानन सांदीपनि का शिक्षण- आसन कृष्ण की कथा कहे परिवेश देश का गौरव मध्यप्रदेश। नदी नर्मदा,शिवना, चंबल परशुराम का परशु, कमंडल शुभ्र सतपुड़ा के सब जंगल हरियाली ज्यों मॉ का ऑचल विंध्याचल यानी उन्मेष, देश का गौरव मध्यप्रदेश। है भोपाल, ताल की …

Read more

 घर-आंगन में दीप जलाकर- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 घर-आंगन में दीप जलाकर- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 घर-आंगन में दीप जलाकर घर-आंगन में दीप जलाकर, रचती है रांगोली बिटिया। शुभ-मंगल की ‘मौली’ बिटिया, हल्दी-कुमकुम – रौली बिटिया । ईद, दीवाली, क्रिसमस जैसी, हंसी-खुशी की झोली बिटिया । सखी सहेली से घुल-मिलकर, करती ऑख-मिचौली बिटिया घर – आंगन में दीप जलाकर, रचती है रांगोली बिटिया । मन ही मन बांते करती है, सीधी-सादी …

Read more

नदी – जंगल बचे रहेंगे तो – हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

नदी – जंगल बचे रहेंगे तो – हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

नदी – जंगल बचे रहेंगे तो न तो काटें, न कटने दें जंगल, तब ही दुनिया को मिल सकेगा जल। जंगलो का हरा – भरा रहना, जैसे धरती पे नीर के बादल। वन की ‘हरियाली’ से ही तो नदियां अपनी आंखों में आंजती ‘काजल’, बहती नदिया धरा की धड़कन है यानी धरती का दिल सघन …

Read more

 नये वर्ष की नई सुबह – हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 नये वर्ष की नई सुबह – हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 नये वर्ष की नई सुबह जीभ, मधुर फुलवारी रख । कोमलता की क्यारी रख । नये वर्ष की नई सुबह शुभता की तैयारी रख । सुख का साधक बन लेकिन दुखियों से भी यारी रख । मातृ -भूमि के चरणों में तन, मन, पूंजी सारी रख । वन है धरती की गर्दन गर्दन पर मत …

Read more

बाप- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

बाप- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

बाप पर्वत – शिखर – सा बाप, है सिंधु सा गहन भी, रिश्तों को निभाता है, निभाता है वचन भी। झिड़की भी,नसीहत भी, मृदुल-मीठी डांट भी, बच्चों के लिए बाप दुआओं का चमन भी। परिवार के हित के लिए पीड़ा की पोटली, नित बाप उठाता भी है,करता है वहन भी। तूफान तनावों के मुस्कुराके झेलता, …

Read more

अपना ही गणतंत्र है बंधु- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

अपना ही गणतंत्र है बंधु- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

अपना ही गणतंत्र है बंधु अपना ही गणतंत्र है बंधु! कभी ‘गांव का ग्वाला’ जैसा, कभी ‘शहर की बाला’ जैसा, कभी ‘जीभ पर ताला’ जैसा, कभी ‘शोर की शाला’ जैसा, रुकता-चलता यंत्र है बंधु! अपना ही गणतंत्र है बंधु! कभी ‘पांव का छाला’ जैसा, कभी ‘पांव का छाला’ जैसा, कभी ‘एकदम आला’ जैसा, ‘उत्सव का …

Read more

चांद हैं, आफताब हैं बच्चे- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

चांद हैं, आफताब हैं बच्चे- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

चांद हैं, आफताब हैं बच्चे चांद हैं, आफताब हैं बच्चे। रोशनी की किताब हैं बच्चे। अपने स्कूल जब ये जाते हैं, ऐसा लगता गुलाब हैं बच्चे। व्यास, सतलज सरीखे दरिया हैं, रावी, झेलम, चिनाब हैं बच्चे। अपनी मस्ती की राजधानी में, अपने मन के नबाब हैं बच्चे। जब कभी भी ये खिलखिलाते हैं, ऐसा लगता …

Read more

 गायब है गोरैया- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 गायब है गोरैया- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

गायब है गोरैया चेतन-चिंतन ‘चह-चह’ का लेकर आती थी, कुदरती घड़ी की ‘घंटी सदृश’ जगाती थी, खिड़की से, कभी झरोखे से घुसकर घर में, भैरवी जागरण की जो सुबह सुनाती थी, गायब है गोरैया, खोजें, फिर घर लाएं । रुठी है तो मनुहार करें, हम समझाएं । गोरैया की चह-चह में मोहक गीत छिपा, मीठा-मीठा …

Read more

 वसंत- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 वसंत- हिन्दी कविता -प्रो. अजहर हाशमी

 वसंत रिश्तों में हो मिठास तो समझो वसंत है मन में न हो खटास तो समझो वसंत है। आँतों में किसी के भी न हो भूख से ऐंठन रोटी हो सबके पास तो समझो वसंत है। दहशत से रहीं मौन जो किलकारियाँ उनके होंठों पे हो सुहास तो समझो वसंत है। खुशहाली न सीमित रहे …

Read more