दो बहनें (उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर; अनुवादक : हजारी प्रसाद द्विवेदी
दो बहनें (उपन्यास) : रबीन्द्रनाथ टैगोर; अनुवादक : हजारी प्रसाद द्विवेदी शर्मिला स्त्रियाँ दो जाति की होती हैं, ऐसा मैंने किसी-किसी पंडित से सुना है। एक जाति प्रधानतया माँ होती है, दूसरी प्रिया। ऋतुओं के साथ यदि तुलना की जाय तो माँ होगी वर्षाऋतु यह जल देती है, फल देती है, ताप शमन करती है, …