पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 10

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 10

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 10 अध्याय 10 भोजन की थाली उसी तरह पड़ी रही। उसकी आंखों से आंसू की बड़ी-बड़ी बूंदे गालों पर से झर-झर नीचे गिरने लगीं। अपूर्व की मां को उसने कभी देखा नहीं था। पति-पुत्र के कारण उन्होंने जीवन में बहुत कष्ट उठाया था। इसके अतिरिक्त उनके …

Read more

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 9

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 9

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 9 अध्याय 9 भारती प्रसन्नता भरे स्वर में पुकार उठी, “शशि बाबू, हम लोग आ गए। खिलाने-पिलाने का इंतजाम कीजिए। नवतारा कहां है? नवतारा!….नवतारा….!!” शशि बोले, “आइए, नवतारा यहां नहीं है।” डॉक्टर ने मुस्कराते हुए पूछा, “गृह गृहिणी शून्य क्यों है कवि? उसे बुलाओ। आकर हम …

Read more

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 8

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 7

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 8 अध्याय 8 जिन-जिन लोगों ने कमरे में प्रवेश किया वह सभी अच्छी तरह जाने-पहचाने लोग थे। डॉक्टर ने कहा, “आओ।” लेकिन उनके चेहरे का भाव देखते ही भारती समझ गई, कम-से-कम आज वह इसके लिए तैयार नहीं थे। सुमित्रा के आने के बारे में उन्हें …

Read more

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 7

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 7

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 7 अध्याय 7 जलमार्ग से आने वाले शत्रु के जलयानों को रोकने के लिए नगर के अंतिम छोर पर नदी के किनारे मिट्टी का एक छोटा-सा किला है। उसमें संतरी अधिक नहीं रहते। केवल तोपें चलाने के लिए कुछ गोरे गोलंदाज रहते हैं। अंग्रेजों के इस …

Read more

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 6

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 6

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 6 अध्याय 6 अपूर्व के इस तरह बाहर चले जाने पर सभी आश्चर्य में पड़ गए। बैरिस्टर कृष्ण अय्यर ने पूछा, “यह कौन है डॉक्टर? बहुत ही भावुक।” उसकी बात में स्पष्ट उलाहना था कि ऐसे लोगों का यहां क्या काम है?” डॉक्टर थोड़ा हंस पड़े। …

Read more

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 5

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 5

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 5 अध्याय 5 कहते-कहते भारती की मुखाकृति कठोर और गले की आवाज तीखी हो उठी, “इस लड़की की मां और यदु ने जो अपराध किया है वह क्या केवल इन लोगों को दंड देकर समाप्त हो जाएगा? डॉक्टर साहब को जब तक मैंने नहीं पहचाना था …

Read more

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4 अध्याय 4 थोड़ी दूर चलकर अपूर्व ने सौजन्यतापूर्वक कहा, “आपका शरीर इतना अस्वस्थ और दुर्बल है कि इस हालत में और आगे चलने की जरूरत नहीं है। यही रास्ता तो सीधे जाकर बड़े रास्ते से मिल गया है। मैं चला जाऊंगा।” तनिक मुस्कराकर डॉक्टर ने …

Read more

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3 अध्याय 3 भारती हंस पड़ी। बोली, “यदि म्लेच्छ जीवनदान दे तो उसमें कोई दोष नहीं, लेकिन मुंह में जल देते ही प्रायश्चित्त होना चाहिए।” फिर जरा हंसकर बोली, “अच्छा, मैं जा रही हूं। अगर कल समय मिला तो एक बार देखने आऊंगी।” यह कहकर जाते-जाते …

Read more

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 अध्याय 2 उपद्रव रहित एक सप्ताह के बाद एक दिन ऑफिस से लौटने पर तिवारी ने प्रसन्न होकर कहा, “आपने सुना छोटे बाबू?” “क्या” “साहब का पैर टूट गया। अस्पताल में हैं। देखें बचता है या नहीं।” “तुझे कैसे पता लगा?” तिवारी बोला, “मकान मालिक …

Read more

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

पथ के दावेदार (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 अध्याय 1 अपूर्व के मित्र मजाक करते, “तुमने एम. एस-सी. पास कर लिया, लेकिन तुम्हारे सिर पर इतनी लम्बी चोटी है। क्या चोटी के द्वारा दिमाग में बिजली की तरंगें आती जाती रहती हैं?” अपूर्व उत्तर देता, “एम. एस-सी. की किताबों में चोटी के विरुध्द …

Read more