शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4 23 अजित ने कहा – पानी थमने का तो कोई लक्षण नहीं दिखाई देता? हरेन्द्र ने कहा – नहीं। लिहाजा फिर हम दोनों को उसी टूटी छतरी में सिर से सिर भिड़ाकर समानाधिकार तत्व की सत्यता प्रमाणित करते हुए अन्धकार मार्ग में चलते हुए अन्त में …

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शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3 17 चारों तरफ़ देखभालकर कमल सन्न रह गयी। घर की शक़्ल क्या हो रही है! सहसा किसी को विश्वास नहीं हो सकता कि यहाँ कोई आदमी भी रहता है। किसी के आने की आहट सुनाई दी और एक सत्रह-अठारह साल का लड़का आ खड़ा हुआ। राजेन्द्र …

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शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 11 दिन का तीसरा पहर है। शीत की सीमा नहीं। आशु बाबू की बैठक की काँच की खिड़कियाँ सारे दिन बन्द रहती हैं। वे आरामकुर्सी के दोनों हत्थों पर पैर फैलाकर गहरे मनोयोग के साथ पड़े-पड़े कुछ पढ़ रहे थे। हाथ के काग़ज़ पर पीछे के …

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शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

शेष प्रश्न (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 1 विभिन्न समयों में विभिन्न कार्यों से बहुत से बंगाली परिवार मुसाफिरों का झुण्ड आता-जाता रहता है – अमेरिकन टूरिस्टों (भ्रमण करने वालों) से लेकर वृन्दावन से लौटे वैष्णवों तक की भीड़ बनी ही रहती है – किसी को किसी बात की उत्सुकता नहीं, दिन के …

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