मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 4

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 4

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 4 १८ कुछ दिन बाद चेम्पन का पागलपन उतर गया। लेकिन उसकी बुद्धि मन्द हो गई । कुछ वह बिलकुल मौन रहने लगा। उसका तौर-तरीका देखकर लगता था कि वह बिलकुल टूट गया है। उसका धन खत्म हो गया। उसके पास अब पैसा नहीं था …

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मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 3

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 3

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 3 १० चक्की की इच्छा थी कि शादी जरा धूम-धाम से की जाय। पड़ोसियों को भी एक अच्छे समारोह की आशा थी। चेम्पन के पास पैसा था। करुत्तम्मा उसको प्रथम पुत्री थी। ऐसी स्थिति में शादी धूम-धाम से होगी, ऐसी आशा करना स्वाभाविक ही था। …

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मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 2

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 2

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 2 ५ दूसरे दिन सुबह तीन बजे ही सब लोग घाट पर एकत्रित हुए। उस दिन चेम्पन की नाव को उतारना था। जब कोई नई नाव निकाली जाती है तब वह सब नावों के साथ एक ही साथ निकलती है। चक्की, करुत्तम्मा, पंचमी सब समुद्र …

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मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 1

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 1

मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 1 खण्ड : एक १ “बप्पा नाव और जाल खरीदने जा रहे हैं।” “तुम्हारा भाग्य।” करुत्तम्मा से कोई जवाब देते नहीं बना। लेकिन उसने तुरन्त परिस्थिति पर काबू पा लिया। उसने कहा, “रुपये काफी नहीं हैं। क्या उधार दे सकते हो ?” हाथ धोकर दिखाते …

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