मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 4
मछुआरे (मलयालम उपन्यास) : तकषी शिवशंकर पिल्लै, अनुवादक-भारती विद्यार्थी Part 4 १८ कुछ दिन बाद चेम्पन का पागलपन उतर गया। लेकिन उसकी बुद्धि मन्द हो गई । कुछ वह बिलकुल मौन रहने लगा। उसका तौर-तरीका देखकर लगता था कि वह बिलकुल टूट गया है। उसका धन खत्म हो गया। उसके पास अब पैसा नहीं था …