नदिया- अनिता सुधीर आख्या

नदिया- अनिता सुधीर आख्या

नदिया- अनिता सुधीर आख्या कल-कल करके नदिया बहती। हर-पल हर-क्षण बहती रहती।। धरती की प्यास बुझाने में अपनी गाथा सबसे कहती।। ऊँचे पर्वत से आती हूँ। टेढ़ा-मेढ़ा पथ पाती हूँ।। गाँव शहर से होते-होते सागर को गले लगाती हूँ।। नही बिजूके से डरती हूँ। खेतो में पानी भरती हूँ। गेहूँ की बाली फिर झूमे सपनों …

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नभ – अनिता सुधीर आख्या

नभ – अनिता सुधीर आख्या

नभ – अनिता सुधीर आख्या टिमटिम करते कितने तारे। नभ में रहते मिल कर सारे।। दूर बहुत ये हमसे कितने! प्यारे सबको लगते इतने।। जब बादल सारे छँट जाते चंदा सँग फिर तारे आते।। भोर हुई तब तारे भागे। सूरज चमके नभ में आगे।। तारे दिन में खो जाते क्या। दूर गगन में सो जाते …

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महापर्व शिवरात्रि – अनिता सुधीर आख्या

महापर्व शिवरात्रि – अनिता सुधीर आख्या

महापर्व शिवरात्रि – अनिता सुधीर आख्या महापर्व शिवरात्रि में,मिलन शक्ति-अध्यात्म का। कृष्ण चतुर्दश फाल्गुनी, प्रकृति-पुरुष एकात्म का।। पंच तत्त्व का संतुलन,यह शिवत्व आधार है। वैरागी को साधना, ही जीवन का सार है।। प्रकटोसव शिवरात्रि में, ऊर्जा का संचार है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में, निराकार साकार है।। शिव गौरा के ब्याह की, आज मनोरम रात में। आराधन …

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प्रदूषण– अनिता सुधीर आख्या

प्रदूषण– अनिता सुधीर आख्या

प्रदूषण– अनिता सुधीर आख्या नदी प्रदूषित मत करें,यह जीवन आधार है। धोते हैं क्यों पाप सब,स्वच्छ नीर अधिकार है।। माटी को बाँधे जड़ें, रोके मृदा कटाव को। स्वच्छ नदी की तलहटी,रोके बाढ़ बहाव को ।। बाढ़ और सूखा बने ,जीवन में अभिशाप जब। कहे नदी की धार फिर ,जतन करो मिल आप सब।। करें समापन …

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उत्तर प्रदेश की नदी- अनिता सुधीर आख्या

उत्तर प्रदेश की नदी- अनिता सुधीर आख्या

Contents1 गंगा2 यमुना3 गोमती4 रामगंगा5 शारदा6 सरयू7 चंबल नदी उत्तर प्रदेश की नदी* धार्मिक महत्व को रखें,उत्तर प्रदेश की नदी। ग्रंथों में गाथा लिखे ,बीत गयी कितनी सदी।। गंगा यमुना गोमती,नदी प्रमुख है शारदा । चम्बल वरुणा घाघरा,सभी मिटातीं आपदा।।   गंगा प्रमुख नदी है देश की,गोमुख उद्गम जानिए। पंच प्रयागों से बनीं,पावन गंगा मानिए।। …

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नदी (उल्लाला छंद)- अनिता सुधीर आख्या

नदी (उल्लाला छंद)- अनिता सुधीर आख्या

नदी (उल्लाला छंद)- अनिता सुधीर आख्या भूतल पर जलधार का,स्त्रोत झील हिमनद रहे। सरिता तटिनी शैलजा,नदी नद्य इसको कहे।। नदियाँ जीवन दायिनी,जल जीवन आधार है। मातु सरिस सब पूजते,ये संस्कृति का सार है।। कहीं जन्म ले बह चली,नीर जलधि में भर रही। विकसित होती सभ्यता,लालन पालन कर रही।।I रूप सदानीरा रहे,या बरसाती रूप हो। अविरल …

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नवगीत : हिंदी- अनिता सुधीर आख्या

नवगीत : हिंदी- अनिता सुधीर आख्या

नवगीत : हिंदी- अनिता सुधीर आख्या राजभाषा ले लकुटिया पग धरे हर द्वार तक राह में अवरोध अनगिन हीनता का दंश दें स्वामिनी का भाव झूठा मान का कुछ अंश दें ये दिवस की बेड़ियां भी कब लड़ें प्रतिकार तक।। हूक हिय में नित उठे जो सौत डेरा डालती छीन कर अधिकार वो फिर बैर …

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स्वर्ण विहग के घाव- अनिता सुधीर आख्या

स्वर्ण विहग के घाव- अनिता सुधीर आख्या

स्वर्ण विहग के घाव- अनिता सुधीर आख्या Swarn Vihag Ke Ghaav -Anita Sudhir Akhya स्वर्ण विहग के घाव-अनिता सुधीर आख्या स्वर्ण विहग के घाव : अनिता सुधीर आख्या (Download pdf)

साइकिल- अनन्त मिश्र

साइकिल- अनन्त मिश्र

साइकिल धूप में खड़ी है साइकिल धूप में खड़ी रहेगी साइकिल धूप से बच नहीं सकती साइकिल । साइकिल खुद से चल कर छाँव में नहीं आ सकती गो, वह ज्यादा चलती है चलकर ही आ खड़ी है पर धूप में पड़ी है साइकिल । सड़क पर देखो कितनी तेजी से भाग रही है साइकिल …

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होली बीत गई- अनन्त मिश्र

होली बीत गई- अनन्त मिश्र

होली बीत गई- अनन्त मिश्र जैसे सब बीतता है वैसे बीत गई एक शब्द उठा रंगीन फव्वारों पर रखे बैलून की तरह रात आते-आते मशीन बंद हो गई न रंग है, न फव्वारा न वह बैलून होली मिठाइयाँ और गुझियों के पच गए अवसाद के स्वाद की तरह खत्म हो गई। मिल आए लोग जिनसे …

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