अंतरद्वंद्व- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी

अंतरद्वंद्व

क्या सच है, क्या शिव, क्या सुंदर?
शव का अर्चन,
शिव का वर्जन,
कहूँ विसंगति या रूपांतर?

वैभव दूना,
अंतर सूना,
कहूँ प्रगति या प्रस्थलांतर?

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