सेवासदन (उपन्यास) (भाग-4) : मुंशी प्रेमचंद

सेवासदन (उपन्यास) (भाग-4) : मुंशी प्रेमचंद

सेवासदन (उपन्यास) (भाग-4) : मुंशी प्रेमचंद 46 सदन को ऐसी ग्लानि हो रही थी, मानों उसने कोई बड़ा पाप किया हो। वह बार-बार अपने शब्दों पर विचार करता और यही निश्चय करता कि मैं बड़ा निर्दय हूं। प्रेमाभिलाषा ने उसे उन्मत्त कर दिया था। वह सोचता, मुझे संसार का इतना भय क्यों है? संसार मुझे …

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सेवासदन (उपन्यास) (भाग-3) : मुंशी प्रेमचंद

सेवासदन (उपन्यास) (भाग-3) : मुंशी प्रेमचंद

सेवासदन (उपन्यास) (भाग-3) : मुंशी प्रेमचंद 30 शहर की म्युनिसिपैलिटी में कुल अठारह सभासद थे। उनमें आठ मुसलमान थे और दस हिन्दू। सुशिक्षित मेंबरों की संख्या अधिक थी, इसलिए शर्माजी को विश्वास था कि म्युनिसिपैलिटी में वेश्याओं को नगर से बाहर निकाल देने का प्रस्ताव स्वीकृत हो जाएगा। वे सब सभासदों से मिल चुके थे …

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सेवासदन (उपन्यास) (भाग-2) : मुंशी प्रेमचंद

सेवासदन (उपन्यास) (भाग-2) : मुंशी प्रेमचंद

सेवासदन (उपन्यास) (भाग-2) : मुंशी प्रेमचंद 12 पद्मसिंह के एक बड़े भाई मदनसिंह थे। वह घर का कामकाज देखते थे। थोड़ी-सी जमींदारी थी, कुछ लेन-देन करते थे। उनके एक ही लड़का था, जिसका नाम सदनसिंह था। स्त्री का नाम भामा था। मां-बाप का इकलौता लड़का बड़ा भाग्यशाली होता है। उसे मीठे पदार्थ खूब खाने को …

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सेवासदन (उपन्यास) (भाग-1) : मुंशी प्रेमचंद

सेवासदन (उपन्यास) (भाग-1) : मुंशी प्रेमचंद

सेवासदन (उपन्यास) (भाग-1) : मुंशी प्रेमचंद 1 पश्चाताप के कड़वे फल कभी-न-कभी सभी को चखने पड़ते हैं, लेकिन और लोग बुराईयों पर पछताते हैं, दारोगा कृष्णचन्द्र अपनी भलाइयों पर पछता रहे थे। उन्हें थानेदारी करते हुए पच्चीस वर्ष हो गए, लेकिन उन्होंने अपनी नीयत को कभी बिगड़ने नहीं दिया था। यौवनकाल में भी, जब चित्त …

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शेख़ सादी (जीवनी) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 1-अध्याय 12)

शेख़ सादी (जीवनी) : मुंशी प्रेमचंद

Contents1 अध्याय 12 अध्याय 23 अध्याय 3भ्रमण4 अध्याय 4शीराज़ में पुनरागमन5 अध्याय 5चरित्र6 अध्याय 6रचनाएँ और उनका महत्व7 अध्याय 7गुलिस्तां8 अध्याय 89 अध्याय 9सादी की लोकोक्तियॉं10 अध्याय 10गज़लें11 अध्याय 11क़सीदे12 अध्याय 12 शेख़ सादी (जीवनी) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 1-अध्याय 12) अध्याय 1 शेख़ मुसलहुद्दीन (उपनाम सादी) का जन्म सन् 1172 ई. में शीराज़ नगर …

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मनोरमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 19-अध्याय 21 )

मनोरमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 19-अध्याय 21 )

Contents1 मनोरमा अध्याय 192 मनोरमा अध्याय 203 मनोरमा अध्याय 21 मनोरमा अध्याय 19 राजा विशाल सिंह ने इधर कई साल से राजकाज छोड़ रखा था। मुंशी वज्रधर और दीवान साहब की चढ़ बनी थी। प्रजा के सुख दुख की चिंता अगर किसी को थी, तो मनोरमा को थी। राजा साहब के सत्य और न्याय का …

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मनोरमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 11-अध्याय 18)

मनोरमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 11-अध्याय )

Contents1 मनोरमा अध्याय 112 मनोरमा अध्याय 123 मनोरमा अध्याय 134 मनोरमा अध्याय 145 मनोरमा अध्याय 156 मनोरमा अध्याय 167 मनोरमा अध्याय 178 मनोरमा अध्याय 18 मनोरमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 11-अध्याय 18) मनोरमा अध्याय 11 संध्या हो गई है। ऐसी उमस है कि सांस लेना मुश्किल है और जेल के कोठरियों में यह उमस …

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मनोरमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 1-अध्याय 10)

मनोरमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

Contents1 मनोरमा अध्याय 12 मनोरमा अध्याय 23 मनोरमा अध्याय 34 मनोरमा अध्याय 45 मनोरमा अध्याय 56 मनोरमा अध्याय 67 मनोरमा अध्याय 78 मनोरमा अध्याय 89 मनोरमा अध्याय 910 मनोरमा अध्याय 10 मनोरमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 1-अध्याय 11) मनोरमा अध्याय 1 मुंशी वज्रधर सिंह का मकान बनारस में है। आप हैं राजपूत, पर अपने …

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दुर्गादास (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

दुर्गादास (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

Contents1 अध्याय-12 अध्याय-23 अध्याय-34 अध्याय-45 अध्याय-56 अध्याय-6 दुर्गादास (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद अध्याय-1 जोधपुर के महाराज जसवन्तसिंह की सेना में आशकरण नाम के एक राजपूत सेनापति थे, बड़े सच्चे, वीर, शीलवान् और परमार्थी। उनकी बहादुरी की इतनी धाक थी, कि दुश्मन उनके नाम से कांपते थे। दोनों दयावान् ऐसे थे कि मारवाड़ में कोई अनाथ …

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मंगलसूत्र (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

मंगलसूत्र (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद

मंगलसूत्र (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद 1बड़े बेटे संतकुमार को वकील बना कर, छोटे बेटे साधुकुमार को बी.ए. की डिग्री दिला कर और छोटी लड़की पंकजा के विवाह के लिए स्त्री के हाथों में पाँच हजार रुपए नकद रख कर देवकुमार ने समझ लिया कि वह जीवन के कर्तव्य से मुक्त हो गए और जीवन में …

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